मध्य प्रदेश मदरसा मिड डे मील योजना : Madhya Pradesh Madrasa Mid Day Meal Yojana

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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किये गए मदरसा मिड डे मील योजना के बारे में जानकारी देंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता वाली हुई कैबिनेट बैठक में मध्यप्रदेश सरकार मिड डे मील योजना में मदरसों को भी शामिल करने जा रही है। राज्य मदरसा बोर्ड द्वारा अनुमोदित प्रदेश में 1,406 मदरसे हैं। जिनमें से 1,375 मदरसों को मिड डे मील योजना में शामिल किया जाएगा। इससे पहले इनमें से कई मदरसें ऐसे हैं जिनको इस सरकारी योजना में पहले से ही केंद्र सरकार का समर्थन मिल रहा है।

एमपी मिड डे मील योजना 2019 में 34 हजार से ऊपर छात्रों को पोषक तत्वों से भरपूर दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। जिसमें से प्राथमिक स्तर के लगभग 77% छात्र इस एमपी मिड डे मील स्कीम से लाभान्वित होंगे। मप्र सरकार ने मिड डे मील योजना के लिए 10.20 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिये हैं।

मध्य प्रदेश मदरसा मिड डे मील योजना :

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने मदरसा में भी मिड डे मील स्कीम को शुरू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत राज्य के सभी मदरसों में छात्रों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जायेगा। मप्र मदरसा मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत 34,000 छात्रों को पौष्टिक भोजन दिया जाएगा।

मध्य प्रदेश मदरसा मिड डे मील योजना के प्रमुख तथ्य :

योजना का नाम मध्य प्रदेश मदरसा मिड डे मील
शुरू की गयी मुख्यमंत्री कमलनाथ
लाभार्थी मदरसे के छात्र
उद्देश्य मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराना
शुरू होगी अक्टूबर माह में
बजट 10.20 करोड़ रुपये
योजना का प्रकार राज्य सरकार योजना
आधिकारिक वेबसाइट https://mhrd.gov.in/mid-day-meal

मध्य प्रदेश मदरसा मिड डे मील योजना के उद्देश्य :

एमपी मदरसा मिड डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य मदरसों में पढ़ने वाले बच्चो को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करना है। सरकार का लक्ष्य मिड डे मील के माध्यम से छात्रों में कुपोषण के स्तर को कम करना है। इसके साथ ही केबिनेट बैठक में आदिवासियों के शोषण को रोकने के लिए अनुसूचित जनजाति साहूकार अधिनियम 1972 में संशोधन को भी मंजूरी दी गयी है इसके माध्यम से साहूकार गरीब आदिवासियों का कर्ज के मुद्दे पर शोषण नहीं कर पाएंगे।

एमपी कैबिनेट बैठक में लिए गए अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय :

मंत्रिमंडल ने आदिवासियों को शोषण से बचाने के लिए मध्य प्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार अधिनियम 1972 में संशोधन को भी मंजूरी दी। जिसके तहत निजी साहूकारों द्वारा आदिवासियों को शोषण से बचाने के लिए अब नए प्रावधान लागू होंगे। जैसे की अगर किसी साहूकार के पास लाइसेंस नहीं है। अब से वह किसी भी आदिवासी को कर्ज नहीं दे सकता है।

सोमवार की कैबिनेट बैठक में, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार का एक और लक्ष्य बताया जिसमें वे मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। और उन्होने नारा भी दिया “शुद्ध के लिए युद्ध” जिसके लिए वह राज्य में मिलावट खोरों के खिलाफ जंग लड़ेंगे। इसके लिए उन्होने बताया की सिर्फ दूध और डेयरी उत्पाद ही नहीं। मिलावट के खिलाफ वे अनाज, तेल और अन्य खाद्य वस्तुओं के लिए भी लड़ाई लड़ेंगे।

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