योजना डेस्क। गाँवो को खुली शौच से मुक्त कराने और गाँवो को रहने लायक जगह बनाने व ग्रामीण जीवन में सुधार करने के उद्देश्य से आज के बजट में गैलेवनाइजिंग ऑर्गेनिक जैव-एग्रो संसाधन धन (गोबर-धन)योजना की घोषणा अरुण जेटली जी ने अपने भाषण में की है। उनके कहे अनुसार इसके द्वारा पशओं के अपशिष्टो को खेतो के लिए खाद और बायो गैस और बायो सीएनजी में परिवर्तित किया जायेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा की यह योजना की गाँवो में खुले में शौच मुक्त करने और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधर लाने के प्रयास का हिस्सा है। इस योजना के तहत इन समस्याओ का समाधान गोबर का दोहरा प्रयोग करके किया जा सकता है गोबर में ऊर्जा बड़ी मात्रा में होती है। इसको गैस प्लांट करके निकला जा सकता है। किसान ऊर्जा का उपयोग इंजन एंव पावर डीजल इंजन चलाने के लिए किया जा सकता है प्लांट से निकले वाले गोबर का खाद के रूप में प्रयोग क्र सकते है। गोबर धन योजना आने से किसानो इंजन और खाद दोनों की बचत होगी।
1 | नाम | गोबर-धन योजना |
2 | योजना का पुरा नाम | गैलेवनाइजिंग ऑर्गेनिक जैव-एग्रो संसाधन धन |
3 | किनके द्वारा लांच की गयी | वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा |
4 | लांच डेट | फरवरी 2018 |
5 | लाभार्थी | ग्रामीण जनता |
गोबरधन योजना के मुख्य उद्देश्य :
- ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए गैलवनाइजिंग आर्गेनिक बायो–एग्रो रिसोर्स धन योजना शुभारंभ किया गया है।
- ग्रामीणों जीवन खुले में शौच मुक्त करने के लिए तथा ग्रामीणों जीवन को बेहतर बनाने के लिए गोबर धन योजना का शुभारंभ की घोषणाकिया जाया है।
- इस योजना के अंतर्गत पशुओ के गोबर तथा खेतो के ठोस पदर्थो को कंप्रेस्ड बायोगैस तथा बायोगैस सीएनसी में परवर्तित किया जाएगा।
- ग्रामीणों भाइयो की दो मुख्य समस्याऐं है पहले उर्वरक दूसरी ईंधन की कमी पैदा कर रही थी गोबर अन्य कोई पदार्थ सुगमतापूर्वक उपलब्ध नहीं है।
ग्रामीणों के लिए फायदा :
इस योजना को गांव में रहने वाले लोगों के रहन-सहन सुधारने के साथ-साथ गांव में खुले होने वाली शौच काबू पाने के लिया बनाया गया है। जिसका फायदा सीधे तौर पर ग्रामीणों को पहुंचेगा।
किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन :
इस समय किसान की आय पूरी तरह फसल की पैदावार पर निर्भर करती है, इसलिए यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में काफी हद तक कारगार होगी। क्योंकि इस योजना में बर्बाद मटेरियल या सामग्री को इस्तेमाल करना है, जिससे किसानों को इस खराब मलमूत्र एवं खराब मटेरियल के भी दाम देगी।
115 जिलों का चयन :
2018-19 के इस किसान समर्पित बजट में 115 जिलों का चयन किया है जहां सरकार योजना के तहत विकास करेगी। इतना ही नहीं इन जिलों में स्थित गांवों के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, बिजली, सिंचाई, आदि का इंतजाम किया जायेगा।
कम्पोस्ट खाद बनाने पर ध्यान :
सरकार इस योजना के जरिए किसानों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ उनको आर्थिक तौर पर निर्भर भी बनाना चाहित है। सरकार चाहित है कि किसान खुद से अपनी खाद का निर्माण कर सकें एवं अपनी कृषि प्रणाली को मजबूत कर सके।
गोबर–धन योजना से लाभ :
- ग्रामीण इलाकों के ढांचे में परिवर्तन : भारत में विकास करने के लिए सबसे जरुरी है कि इस देश के हर गांव को भारत की जीडीपी का हिस्सा बनाया जाए, तभी हम इस संसार में जल्द एक महान शक्ति बन सकते है। इसके लिए भारत के गांवों इलाकों में रोजगार एवं नई तकनीकों की मदद से व्यापार के रास्ते खोलने होंगे इस योजना की मदद से ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में सहायता मिल सकती है।
- बिजली उत्पादन में मदद : जैसे की इस योजना में बायोगैस के उत्पादन पर जोर दिया रहा है, इसका फायदा किसानों और देश दोनों को पहुंचने वाला है। क्योंकि अगर भारत के पिछड़े इलाकों में काफी ज्यादा मात्रा मात्रा में डंग (मलमूत्र) एवं अनेक ऐसे सॉलिड वेस्ट पाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल बायोगैस या फिर बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। बिजली की समस्या अक्सर ऐसे इलाकों में देखी जा सकती है, इस योजना से पूरी तरह तो नहीं लेकिन कुछ हद तक बिजली की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है।
- कम्पनिओं का आकर्षण : भारत में अधिकतर कंपनियां शहरी इलाकों में होती है, क्योंकि यह पर किसी भी कंपिनयों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होती है। लेकिन अगर सरकार यही सुविधाएं इन इलाकों में भी देती है तो कंपिनयों का रुख ग्रामीण क्षेत्रों की ओर भी बढ़ सकता है। जिससे भारत का चौतरफा विकास करना संभव हो सकेगा, सरकार इस योजना के माध्यम से गांवों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाना चाहती है।
स्वच्छता अभियान में मदद :
भारत में गांधी जयंती 2014 से मोदी सरकार स्वच्छता अभियान चला रही है, गोबर धन योजना में अपशिष्ट पदार्थों एवं कूड़े कचरे का इस्तेमाल करके खाद एवं अन्य चीजों का उत्पादन किया जाना है। अगर इस नजरिए से देखा जाए तो सरकार अब देश के कोने कोने में इस अभियान को भी मजबूत बनाने में लगी है।
पशु पालन को बढ़ावा :
रूरल क्षेत्रों में पशुपालन का कारोबार काफी मात्रा में देखने को मिलता है, लेकिन उनसे उत्पन्न मलमूत्र (डंग) बर्बाद चला जाता है. इस योजना के तहत सरकार इस मलमूत्र के भी पैसे किसान या पशुपालक को प्रदान करने वाली है. जिसका सीधा अर्थ ये निकलता है, कि सरकार किसान और पशुपालकों को भी आर्थिक रूप से मजबूती देना चाहती है।
गोबर–धन योजना को लेकर दूरगामी सोच :
बायोगैस एवं बायोमास के उत्पादन में भारत का 6 वां स्थान है, इस सूची नार्थ अमेरिका पहले नंबर पर है। भारत में इस समय तेल (फ्यूल) को लेकर काफी समस्याएं बढ़ती जा रही है, लगभग 95 प्रतिशत तक वाहन फ्यूल से चलते हैं और इसकी मांग और बढ़ती जा रही है। इस गंभीर समस्या का हल भारत को अपने अंदर से खोजना होगा, जिसका एक बड़ा विकल्प बायोगैस या बायो-सीएनजी भी हो सकता है। अगर भारत की इकॉनमी को लगातार बढ़ाना है तो ऊर्जा उत्पादन देश के अंदर भी करना आवश्यक है। इस समय स्वीडन देश में बायोगैस ईंधन पर चलने वाली बस चलाई जाती है, इतना ही नहीं इस देश ने बायोगैस से चलने वाली ट्रेन का भी निर्माण कर रखा है। हालांकि इस क्षेत्र में वृध्दि कम जरूर होती है लेकिन लगातार हर साल बढ़ोत्तरी अवश्य होती है। भारत को साल 2022 तक इस ऊर्जा के उत्पादन के क्षेत्र में काफी अच्छा माना जा रहा है।
इस योजना से सरकार विशेष रूप से गांव एवं पिछड़े इलाकों के लोगों को आर्थिक मजबूती देना चाहती है, जिससे भारत के किसान भी काफी तादाद में फायदा उठा सकेंगे, एवं भविष्य में गावों के मॉडल को एक नया रूप देने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री जी के अनुसार भारत को महान बनाने के लिए गांवों को भी विकसित बनाने का कदम है। क्योंकि भारत की इकॉनमी में कृषि का बहुत बड़ा हिस्सा है।