न्यूज़ डेस्क। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या 1 करोड़ के पार हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि यह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि हर भारतीय को यह जानकार गर्व होगा कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ पार कर चुकी है। दो साल से भी कम वक्त में इस प्रयास से कई लोगों की जिंदगी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मैं सभी लाभार्थियों और उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
It would make every Indian proud that the number of Ayushman Bharat beneficiaries has crossed 1 crore. In less than two years, this initiative has had a positive impact on so many lives. I congratulate all the beneficiaries and their families. I also pray for their good health.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने इसके साथ ही आयुष्मान भारत से जुड़े लोगों, डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मैं हमारे डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और आयुष्मान भारत से जुड़े सभी लोगों की सराहना करता हूं। उनके प्रयासों ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम बना दिया है। इस पहल ने कई भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों और दलितों का विश्वास जीता है।
I appreciate our doctors, nurses, healthcare workers and all others associated with Ayushman Bharat. Their efforts have made it the largest healthcare programme in the world. This initiative has won the trust of several Indians, especially the poor and downtrodden.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2020
एक अन्य ट्वीट संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत का सबसे बड़ा लाभ पोर्टेबिलिटी है। लाभार्थी ना सिर्फ जहां पंजीकृत हैं, बल्कि देश के किसी भी हिस्से में भी उच्च गुणवत्ता और सस्ती चिकित्सा देखभाल प्राप्त कर सकते हैं। यह उन लोगों की मदद करता है जो घर से दूर काम करते हैं या ऐसी जगह पर पंजीकृत हैं जहां वे नहीं हैं।
One of the biggest benefits of Ayushman Bharat is portability. Beneficiaries can get top quality and affordable medical care not only where they registered but also in other parts of India. This helps those who work away from home or registered at a place where they don’t belong.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष्मान भारत की एक करोड़वी लाभार्थी मेघालय की पूजा थापा से टेलीफोन पर बात भी की। उन्होंने ने पूजा से हुई बातचीत का एकऑडियो शेयर करते हुए लिखा कि अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान, मैं आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के साथ बातचीत करता था। अफसोस की बात है कि इन दिनों यह संभव नहीं है, लेकिन 1 करोड़वीं लाभार्थी मेघालय की पूजा थापा से टेलीफोन पर मेरी शानदार बातचीत हुई।
During my official tours, I would interact with Ayushman Bharat beneficiaries. Sadly, that is not possible these days but I did have a great telephone interaction with Pooja Thapa from Meghalaya, the 1 croreth beneficiary. Here is what we discussed. https://t.co/vsUOEEo5pM
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2020
देश के नागरिक स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा। जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं का यही मूलमंत्र रहा है। इस सरकार ने हेल्थ सेक्टर में ऐसे कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनसे स्वास्थ्य को लेकर देशवासियों की चिंताएं पहले से कहीं कम हो गई हैं। एक नजर डालते हैं उन कदमों पर-
30 लाख महिलाओं ने कराई सर्वाइकल कैंसर की जांच :-
मोदी सरकार की इस योजना से अब तक देशभर में 30 लाख महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच की गई है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 30 लाख महिलाओं ने अब तक गर्भाशय के कैंसर की जांच कराई है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अब तक 70 लाख गरीब महिलाओं ने स्तन कैंसर की जांच कराई। पणजी में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पारंपरिक तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं इस तरह की जांच से गुजरने में हिचकिचा रहीं थीं लेकिन सरकारी योजनाओं को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब पांच लाख तक के इलाज का खर्चा उठाया जा रहा है।
आयुष्मान योजना से ‘आयुष्मान भव’ के आशीर्वाद को जन-जन तक पहुंचा रही है मोदी सरकार :-
23 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची से प्रधानमंत्री के द्वारा प्रारंभ की गई यह योजना देश के करीब 50 करोड़ लोगों को लक्ष्य करके बनाई गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस योजना की शुरुआत गरीबों और समाज के वंचित वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।
10 करोड़ गरीब परिवारों को मिला है स्वास्थ्य-सुरक्षा कवर :-
आयुष्मान भारत योजना अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है। दुनिया में मोदी केयर के नाम से विख्यात इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों यानी 50 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये के सालाना चिकित्सा बीमा की सुविधा मिल रही है। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देती है। इसके लिए मोदी सरकार ने देश भर में चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ करने की भी योजना बनाई है, जिसके तहत 1.5 लाख वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं।
कुल 1350 बीमारियों का इलाज :-
आयुष्मान भारत योजना के तहत 1350 बीमारियों का इलाज हो रहा है। यह योजना हार्ट अटैक और कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों में राहत दिलाने में बेहद काम आएगी। इलाज के दौरान दवा, मेडिकल जांच (एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई समेत कई जांच) पूरी तरह से नि:शुल्क होगी। पहले चरण में समाज के वंचित, पिछड़े, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। योजना के अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना में चिह्नित परिवारों के अलावा स्वत: सम्मिलित श्रेणियों एवं शहरी क्षेत्र की 11 कामगार श्रेणियों के तहत आने वाले लोग, जैसे कचरा उठाने वाले और फेरी वालों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान के अंतर्गत पात्र परिवार के सभी सदस्य योजना के पात्र होंगे, यानी सदस्यों की संख्या, आयु सीमा जैसी कोई भी बाध्यता नहीं होगी।
मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य :-
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष योजना बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च की गई। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों – डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके। देश में आज 6.7 प्रतिशत की दर से संपूर्ण टीकाकरण होने लगा है जो दर पूर्ववर्ती सरकार में एक प्रतिशत थी।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य :-
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
बच्चों और माताओं के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन :-
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य है बच्चों और माताओं को सही पोषण देना। इस मिशन को करीब 9 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ शुरू किया गया है। बच्चों को तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य के साथ ही इस मिशन के अंतर्गत आवश्यक पोषण और प्रशिक्षण, खासकर माताओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।
स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 स्तंभ (pillar) पर फोकस :-
जनसामान्य का स्वास्थ्य देश के उन मुद्दों में से है जिनकी व्यापकता सबसे अधिक है। इसके बावजूद दशकों तक इस धारणा को खत्म करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए कि हेल्थ सेक्टर के लिए सब कुछ स्वास्थ्य मंत्रालय ही करेगा। मोदी सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार स्तंभ (pillar) पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- निवारक स्वास्थ्य (Preventive Health) :- इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
- सस्ती हेल्थकेयर (Affordable Healthcare) :- इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप (Supply side interventions) :- इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
- मिशन मोड हस्तक्षेप (Mission mode intervention) :- इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।
- इन चार स्तंभ के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।
स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज :-
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। देश में पांच वर्षों से भी कम समय में 10 करोड़ से अधिक घरो में शौचालय के निर्माण हुए।
योग बना जन आंदोलन :-
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। भारत समेत पूरी दुनिया अब चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी में जुटा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल :-
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान :- इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।
- मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का :- मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना :- माँ और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी :-
मोदी सरकार के बजट में वेलनेस सेंटर पर भी जोर है। सरकार का प्रयास है कि देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर बने। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों।
जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं :-
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। देश भर में 3000 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहां 800 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।
हार्ट स्टेंट और Knee Implants की कीमत पहले से कहीं कम :-
अब हार्ट स्टेंट लगवाना और घुटना प्रत्यारोपित करवाना पहले से कही अधिक सस्ता हो गया है। हृदय रोगियों के लिए हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। दवा लगे स्टेंट (DES) की कीमत अब करीब 28 हजार रुपये पड़ती है। देश में 95 प्रतिशत दिल के मरीजों के लिए DES का ही इस्तेमाल होता है। वहीं सरकार के प्रयासों से घुटने का प्रत्यारोपण (Knee implants) के दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।
मेडिकल संस्थानों में सीटें बढ़ीं, नए संस्थानों की भी स्थापना :-
देश के कई हिस्सों में विशेषकर गांवों में जो डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है उसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो मेडिकल में 52 हजार अंडरग्रैजुएट और 30 हजार पोस्ट ग्रैजुएट सीटें थीं। अब देश में 85 हजार से ज्यादा अंडरग्रैजुएट और 46 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट सीटें हैं। इसके अलावा देश भर में नए एम्स और आयुर्वेद विज्ञान संस्थान की स्थापना की जा रही है।सरकार तीन संसदीय सीटों के बीच में एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण की योजना पर भी काम कर रही है। जाहिर है सरकार के इन प्रयासों का सीधा लाभ युवाओं के साथ ही देश की गरीब जनता को भी मिलेगा।
डॉक्टरों के लिए दुर्गम क्षेत्रों में भी सेवाएं देना अनिवार्य :-
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी अच्छे डॉक्टर उपलब्ध हों, इसके लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में कुछ सुधार किए। अब स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सभी चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से दो साल दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देनी होगी। भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में बदलाव करके स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें सरकारी सेवारत ऐसे चिकित्सा अधिकारियों के लिए आरक्षित कर दी हैं, जिन्होंने कम से कम 3 वर्ष की सेवा दुर्गम क्षेत्रों में की हो। वहीं, स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन कराने के लिए प्रवेश परीक्षा में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा के लिए प्रति वर्ष के लिए 10 प्रतिशत अंक का वेटेज दिया जाएगा।
मलेरिया मुक्त भारत की योजना :-
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-22 (National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22) लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढांचा 2016-2030 (National Framework for Malaria Elimination 2016-2030) जारी किया था।
घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट :-
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।