प्रधानमंत्री मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना : Pradhan Mantri Maatrtv Avakaash Protsaahan Yojana

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प्रस्तावित योजना यदि स्वीकृत और कार्यान्वित कर दी जाती है तो वह इस देश की महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने के साथ-साथ रोजगार एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, महिलाएं शिशु की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी।

भारत सरकार देश की महिलाओं के लिए योजनायें एवं सुविधाएँ लेकर आती रही है, जिससे उनके सामने किसी भी प्रकार की समस्याएं उत्पन्न न हो सके। सरकार ने कुछ साल पहले मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को लाभ प्रदान किया जाता है। अभी हालही में इसमें कुछ बदलाव किये गये हैं। अब इस योजना के तहत उन गर्भवती महिला श्रमिकों को जिनकी मजदूरी 15,000 रूपये तक की है, उन्हें 26 सप्ताह का मातृत्व लाभ एवं 7 सप्ताह की मजदूरी प्रदान की जाएगी और साथ ही उन्हें 26 सप्ताह का अवकाश भी प्रदान किया जायेगा। इसकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार है।

भारत देश के महामहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (1.0) (प्रथम कार्यकाल – 2014 – 2019), श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित प्रधानमंत्री ‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ के विषय में तिथि 16 नवम्बर 2018, भारतीय मानक समय 20:24 काल में प्रधानमंत्री ‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ के विषय में स्पष्टीकरण निर्गत किया गया था । भारत सरकार के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने मीडिया के एक वर्ग में ‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ से जुड़ी कुछ प्रतिवेदन / आख्या (रिपॉट्स) के आधार पर इस संबंध में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया था, जो निम्नलिखित है:

मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना मुख्य उद्देश्य

कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में शिशु के जन्म से पहले और उसके बाद की कुछ विशेष अवधि के लिए वहां कार्यरत महिलाओं के रोजगार का नियमन करना और उन्हें मातृत्व लाभ के साथ-साथ कुछ अन्य फायदे भी मुहैया कराना है। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के जरिए इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा महिला कर्मचारियों के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एक ऐसी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत उन नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस कर दिया जाएगा, जो 15,000/- रुपये तक की वेतन सीमा वाली महिला कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी पर रखते हैं और 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देते हैं।

मैटरनिटी लीव इंसेंटिव योजना यदि स्वीकृत और कार्यान्वित कर दी जाती है तो वह इस देश की महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने के साथ-साथ रोजगार एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, महिलाएं शिशु की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी।

26 सप्ताह के विस्तारित मातृत्व अवकाश नियम पर अमल करना, सार्वजनिक क्षेत्र के संदर्भ में अच्छा साबित हो रहा है लेकिन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यह निजी क्षेत्र के साथ-साथ अनुबंध या ठेके (Contract) पर काम करने वाली महिलाओं के लिये सही साबित नहीं हो रहा।

आमतौर पर यह धारणा है कि निजी क्षेत्र के निकाय महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं, क्योंकि यदि महिलाओं को रोज़गार पर रखा जाता है तो उन्हें विशेषकर 26 हफ्तों के वेतन के साथ मातृत्व अवकाश देना पड़ता है।

साथ ही श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को इस आशय की भी शिकायतें मिल रही हैं कि जब नियोक्ता को यह जानकारी मिलती है कि उनकी कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है अथवा वह जब मातृत्व अवकाश के लिये आवेदन करती है तो बिना किसी ठोस आधार के ही उसके साथ किये गए अनुबंध को निरस्त कर दिया जाता है।

श्रम मंत्रालय को इस संबंध में कई ज्ञापन मिले हैं जिनमें बताया गया है कि किस तरह से मातृत्व अवकाश की बढ़ी हुई अवधि महिला कर्मचारियों के लिये नुकसानदेह साबित हो रही है, क्योंकि मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले ही किसी ठोस आधार के बिना ही उन्हें या तो इस्तीफा देने को कहा जाता है अथवा उनकी छँटनी कर दी जाती है। इसलिये श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को इस प्रकार के प्रोत्साहन योजना को लाने की आवश्यकता पड़ी।

भारत सरकार देश की महिलाओं के लिए योजनायें एवं सुविधाएँ लेकर आती रही है, जिससे उनके सामने किसी भी प्रकार की समस्याएं उत्पन्न न हो सके। सरकार ने कुछ साल पहले मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को लाभ प्रदान किया जाता है। अभी हालही में इसमें कुछ बदलाव किये गये हैं। अब इस योजना के तहत उन गर्भवती महिला श्रमिकों को जिनकी मजदूरी 15,000 रूपये तक की है, उन्हें 26 सप्ताह का मातृत्व लाभ एवं 7 सप्ताह की मजदूरी प्रदान की जाएगी और साथ ही उन्हें 26 सप्ताह का अवकाश भी प्रदान किया जायेगा। इसकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार है।

क्र.. योजना बिंदु  योजना की जानकारी (Scheme Information)
1. योजना का नाम मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना
2. योजना का लांच सन 1961
3. योजना का रिलांच सन 2017
4. योजना की दोबारा शुरुआत नरेंद्र मोदी जी द्वारा
5. सम्बंधित विभाग / मंत्रालय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
6. कुल बजट 400 करोड़ रूपये
7. योजना की लाभार्थी गर्भवती महिला श्रमिक

महत्त्वपूर्ण बिंदु

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एक ऐसी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत 15,000/- रुपए तक की वेतन सीमा वाली महिला कर्मचारियों को अपने यहाँ नौकरी पर रखने वाले और 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देने वाले नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस कर दिया जाएगा।

इसके लिये कुछ शर्तें भी तय की गई हैं और यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना पर अमल करने से भारत सरकार, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को लगभग 400 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ वहन करना पड़ेगा।

केंद्र सरकार की मातृत्व अवकाश लाभ योजना

केंद्र सरकार की मातृत्व अवकाश लाभ योजना – श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना के बारे में स्पष्टीकरण दिया है क्योंकि मीडिया के कुछ हिस्सों में इस योजना के बारे में कुछ गलतफहमी हैं।प्रस्ताव का वर्तमान चरण यह है कि मातृत्व लाभ योजना को अनुमोदित / अधिसूचित किया गया है। हालांकि, यह अभी भी सक्षम प्राधिकारी के आवश्यक बजटीय अनुदान और अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।

मातृत्व अवकाश लाभ योजना केंद्र सरकार का नया कदम है। नियोजित महिलाओं को 26 सप्ताह के मातृत्व लाभ देने के लिए, नियोक्ताओं को मजदूरी के 7 सप्ताह प्रतिपूर्ति की जाएगी जो महिला श्रमिकों को मजदूरी छत के साथ रु। 15,000 और 26 सप्ताह के लिए प्रसूति छुट्टी प्रदान करते हैं।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 केवल उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है जो कारखानों, खानों, वृक्षारोपण, दुकानों, प्रतिष्ठानों और अन्य संस्थाओं में 10 से अधिक व्यक्तियों को नियोजित करते हैं। यदि प्रस्तावित योजना को मंजूरी दे दी गई है और लागू किया गया है, तो यह सुनिश्चित करेगा कि देश की हर महिला के पास रोज़गार, पर्याप्त सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण की समान पहुंच हो।

इस मातृत्व लाभ योजना की महत्वपूर्ण और मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: –

  • किसी भी कंपनी, कारखाने, दुकान, खानों में 10 से अधिक कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना के तहत कवर किया गया है।
  • 1961 का मातृत्व लाभ अधिनियम बाल जन्म से पहले और बाद में उनके कामकाजी स्थानों पर महिलाओं के रोजगार को नियंत्रित करेगा और उन्हें कुछ अन्य लाभ प्रदान करेगा।
  • इस अधिनियम को मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 के माध्यम से संशोधित किया गया था। इस संशोधन में, केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह तक भुगतान मातृत्व छुट्टी में वृद्धि की है।
  • इस योजना का कार्यान्वयन सार्वजनिक क्षेत्र में अच्छा है लेकिन कुछ रिपोर्टें हैं जो बताती हैं कि इसका कार्यान्वयन निजी क्षेत्र और अनुबंध नौकरियों में अच्छा नहीं है।
  • निजी क्षेत्र की प्रतिष्ठान महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित नहीं कर रही हैं जैसे कि वे नियोजित हैं, तो नियोक्ता उन्हें विशेष रूप से 26 सप्ताह की छुट्टियों के लिए मातृत्व लाभ प्रदान करना होगा।
  • श्रम और रोजगार मंत्रालय को विभिन्न तिमाहियों से शिकायतें मिल रही हैं कि जब नियोक्ता को पता चल जाता है कि उनकी महिला कर्मचारी प्रसूति छुट्टी के लिए आवेदन करने जा रहे हैं, तो उनके अनुबंध कुछ शर्तो के आधार पर खारिज कर दिए जाते हैं।
  • सरकार एक मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है जहां मजदूरी के 7 सप्ताह प्रतिपूर्ति करने वाले नियोक्ताओं को प्रतिपूर्ति की जाएगी जो महिला श्रमिकों को मजदूरी छत के साथ रु 15,000 और कुछ शर्तों के अधीन 26 सप्ताह के लिए प्रसूति छुट्टी (भुगतान) प्रदान करते हैं।
  • अनुमानित राशि 400 करोड़ रु सरकार के लिए वित्तीय सहायता के लिए जरूरी है। प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना को लागू करने के लिए भारत का।

यह स्पष्टीकरण आवश्यक था क्योंकि श्रम मंत्रालय के समक्ष कुछ रिपोर्टें आ रही हैं कि विस्तारित प्रसूति छुट्टी महिला कर्मचारियों के लिए निवारक कैसे हो रही है, जिन्हें मातृत्व अवकाश में जाने से पहले शर्तो के आधार पर छोड़ने या पीछे हटने के लिए कहा जाता है। मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना नियोक्ताओं को महिलाओं को भुगतान की छुट्टी का भुगतान करने में सहायता करेगी जो महिलाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार को प्रोत्साहित करेगी।

मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना अंतर्गत विशिष्ट प्रावधान-

  • भारत देश में शिशु को जन्म देने वाली जननी व उनकी संतान का स्वास्थ्य व भविष्य सुरक्षित व संरक्षित रहे ।
  • शिशु को जन्म देने वाली माता को अपनी संतानों के शारीरिक विकास एवं पालनपोषण करने के लिए पर्याप्त समय मिले ।
  • देश में स्त्रियों को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत नियोजन (रोजगार) एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी ।
  • मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना के माध्यम से उपरोक्त बिंदुओं के अतिरिक्त जननी व शिशु की देखभाल के साथ-साथ बिना स्वास्थ्य विकृत होने की गृह कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी ।

अधिनियम की पृष्ठभूमि

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के दायरे में वे कारखाने, खदानें, बागान, दुकानें एवं प्रतिष्ठान और अन्य निकाय आते हैं, जहाँ 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में शिशु के जन्म से पहले और उसके बाद की कुछ विशेष अवधि के लिये वहाँ कार्यरत महिलाओं के रोज़गार का नियमन करना और उन्हें मातृत्व लाभ के साथ-साथ कुछ अन्य फायदे भी मुहैया कराना है।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के ज़रिये इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा महिला कर्मचारियों के लिये वेतन सहित मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।

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