उत्तर प्रदेश कृषि सिंचाई योजना ‘ श्रीमती रेणुका कुमार, प्रमुख सचिव,लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग की निगरानी में चल रहा है। इसके अलावा सिंचाई की पानी की किल्लत को दूर करने के लिए इंटीग्रेटेड पॉन्ड डेवलपमेंट मैनेजमेंट की योजना को मूर्त रूप शासनादेश 04 जुलाई, 2016 द्वारा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कृषि सिंचाई योजना ‘अदर इंटरवेंशन के अंतर्गत वाटर कंजर्वेशन, ग्राउंड वाटर रिचार्ज, ड्रॉट प्रूफिंग मेजर्स के के अन्तर्गत कार्यों को किया जायेगा, जिसमें 60 प्रतिशत अंश भारत सरकार का एवं 40 प्रतिशत अंश राज्य सरकार का होगा।
पानी की हर बूंद बहुमूल्य है। मेरी सरकार जल संरक्षण को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्राथमिकता आधारपर काफी समय से लम्बित पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करेगी और हर खेत को पानी के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ की शुरुआत करेगी। जहाँ कहीं संभव हो वहाँ नदियों को जोड़ने सहित सभी विकल्पों पर गम्भीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है ताकि बाढ़ और सूखे को रोकने के लिए हमारे जल संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। जल संचय और जल सिंचन के माध्यम से वर्षा जल के दोहन से हम जल संरक्षण करेंगे और भूमिगत जल स्तर बढ़ाएंगे। प्रति बूंद-अधिक फसल’ को सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
यूपी लघु सिंचाई योजना के उद्देश्य :
- इस विभाग का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु कृषकों के निजी सिंचाई साधनों का निर्माण कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे प्रदेश के हर खेत में सुनिश्चित् सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सके तथा प्रदेश के कृषक अधिकाधिक खाद्यान्न उत्पादन कर प्रदेश व देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकें।
- उपरोक्त उद्देश्य की पूर्ति के क्रम में लघु सिंचाई विभाग द्वारा कृषकों को निजी लघु सिंचाई संसाधनों के विकास हेतु अनुदान इत्यादि की सुविधाऐं प्रदान की जाती है तथा तकनीकी मार्ग-निर्देशन दिया जाता है।
- विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत् विभाग द्वारा प्रदत्त अनुदान उत्प्रेरक का कार्य करता है और लघु सिंचाई साधनों के निर्माण के लिए स्वयं का निवेश करने हेतु कृषकों को प्रेरित करता है।
- प्रदेश में गहराते भूजल संकट के दृष्टिगत विभाग वर्षा जल संचयन,सतही जल के इष्टतम उपभोग एंव जल संरक्षण की विधाओं को प्रोत्साहित कर भूजल संर्वधन हेतु प्रयासरत है।
लघु कृषि सिंचाई योजना के तहत मिलने वाले अनुदान :
इस योजना के अंतर्गत किसानों को जाति के अनुसार अनुदान मिलेगा जो कि निम्न प्रकार है :-
- सामान्य जाति के लघु एवं सीमान्त किसानों हेतु अनुदान:- इस योजना मे सामान्य श्रेणी के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा क्रमशः रूपए 5000 व रूपए 7000 निर्धारित है। सामान्य लाभार्थियों के लिये जोत सीमा 0.2 हेक्टेयर निर्धारित है। सामान्य श्रेणी के कृषकों की बोरिंग पर पम्पसेट स्थापित करना अनिवार्य नहीं है, परन्तु पम्पसेट क्रय कर स्थापित करने पर लघु कृषकों को अधिकतम 4500 रूपए व सीमान्त कृषकों हेतु 6000 रूपए का अनुदान अनुमन्य है।
- अनुसूचित जाति/जनजाति कृषकों हेतु अनुदान :- अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा 10000 रूपए निर्धारित है। न्यून्तम जोत सीमा का प्रतिबंध तथा पम्पसेट स्थापित करने की बाध्यता नहीं है। 10000 रूपए की सीमा के अन्तर्गत बोरिंग से धनराशि शेष रहने पर रिफ्लेक्स वाल्व, डिलिवरी पाइप, बेंड आदि सामग्री उपलब्ध कराने की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध है। पम्पसेट स्थापित करने पर अधिकतम 9000 रूपए का अनुदान अनुमन्य है।
- एच.डी.पी.ई.पाइप हेतु अनुदान:- वर्ष 2012-13 से जल के अपव्यय को रोकने एवं सिंचाई दक्षता में अमिवृद्धि के दृष्टिकोण से कुल लक्ष्य के 25 प्रतिशत लाभार्थियों को 90mm साईज का न्यूनतम 30मी. से अधिकतम 60 मी. HDPE Pipe स्थापित करने हेतु लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 3000 रूपए का अनुदान अनुमन्य कराये जाने का प्राविधान किया गया है। 22 मार्च 2016 से 110 mm साईज के HDPE Pipe स्थापित करने हेतु भी अनुमन्यता प्रदान कर दी गयी है।
- पम्पसेट क्रय हेतु अनुदान :- निःशुल्क बोरिंग योजना के अन्तर्गत नाबार्ड द्वारा विभिन्न अश्वशक्ति के पम्पसेटों के लिए ऋण की सीमा निर्धारित है जिसके अधीन बैकों के माध्यम से पम्पसेट क्रय हेतु ऋण की सुविधा उपलब्ध है। जनपदवार रजिस्टर्ड पम्पसेट डीलरों से नगद पम्पसेट क्रय करने की भी व्यवस्था है। दोनों विकल्पो में से कोई भी प्रक्रिया अपनाकर ISI मार्क पम्पसेट क्रय करने पर अनुदान अनुमन्य है।
उत्तर प्रदेश लघु सिंचाई योजना के लिए योग्यता :
- उत्तर प्रदेश राज्य में लघु सिंचाई योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए राज्य के किसानों को नीचे दिए गए मापदंडों का पालन करना होगा। जो इस प्रकार से हैं।
- इस योजना का लाभप्राप्त करने के लिए किसानों को उत्तर प्रदेश का स्थाई निवासी होना अनिवार्य हैं।
- लघु सिंचाई योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए केवल लघु और सीमांत किसान ही आवेदन कर सकते है।
- इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए सामान्य वर्ग श्रेणी के किसानों के पास 0.2 हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए, तभी वह इस योजना के लिए योग्य माने जाएंगे।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है।