रायपुर। “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ योजना ने अब जमीन में मुर्त रूप लेकर गांव के लोगों, किसानों और वहां के युवाओं एवं महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर देते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आधार देने का कार्य शुरू कर दिया है। इसका आदर्श उदाहरण रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के ग्राम बनचरौदा के गोठान ने प्रस्तुत किया है। ठाकुर प्यारे लाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्था, निमोरा ने राज्य के विभिन्न जिलों के ग्राम गोठान स्थाई समितियों प्रशिक्षित करने वाले मास्टर टेªनर्स को प्रशिक्षण देने के लिए बनचरौदा का चयन किया है। यहां 50-50 मास्टर ट्रेनरों को चार बैच में दो-दो दिन का प्रशिक्षण देने दिया जाएगा। इसका पहला बेच कल 21 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ। दूसरा बेच 23 अक्टूबर से शुरू होगा।
उल्लेखनीय है कि सुराजी गांव योजना के अंतर्गत गोठानों की देखभाल के लिए ग्राम पंचायतों में ग्राम गौठान समिति के गठन किया गया हैै। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से समितियों के सदस्यों को “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ के प्रति समझ बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों के विकास करने, गोठान एवं चारागाह प्रबंधन करने तथा गांव-गांधी और गोठान के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।
राज्य शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उप सचिव ने इस संबंध में प्रशिक्षण देने के लिए पत्र लिखा है। गोठान समिति के स्थाई सदस्यों को 21 से 24 अक्टूबर तक 50-50 के दो बैचों में प्रशिक्षण देने कहा। प्रशिक्षण का उदेश्य समिति के सदस्यों में नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी के संरक्षण, विकास, प्रबंधन और समझ को बढ़ाना है। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, कलेक्टर डाॅ.एस. भारतीदासन और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ. गौरव कुमार सिंह भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि “नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ की प्रशंसा सुनकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भीे अपने मंत्रीमंडल के सदस्यों के साथ रायपुर जिले के ग्राम बनचरौदा में आदर्श गोठान देखने पहुचे थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उनके साथ थे। श्री गहलोत ने यहां के गोठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से बनाये पूजन सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन, जैविक खाद, औषधि, कुटीर उद्योग के माध्यम से दोना-पत्तल तैयार करने के साथ आत्म निर्भरता की ओर ग्रामीण महिलाओं के बढ़ते कदम को देखकर सराहना की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी विकास योजना के कार्यों को एक नवाचार बताते हुये छत्तीसगढ़ सरकार की मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री श्री बघेल महात्मा गांधी के सपनों को सही मायने में साकार कर रहे है।
“नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी“ के माध्यम से छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में जल संसाधन को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं गांव के पशुओं का संर्वधन करने, गोठान के माध्यम से प्राप्त होने वाले गोबर का उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने और अन्य उत्पाद बनाने, चारागाह के माध्यम से हरी घास का उत्पादन करने और बाड़ी के माध्यम से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक फल और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने का कार्य भी किया जा रहा है। गोठान में मवेशियों को पेयजल, छाया और चिकित्सा आदि उपलब्ध कराने के साथ गांव वालोें के सहयोग से चारा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। आवारा पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाएं पर भी अंकुश लगने लगा है। जैविक खाद के निर्माण होने से पौष्टिक एवं विषैले रसायन वाले फसल के स्थान पर जैविक फसल को बढ़ावा मिला है। जल सरंक्षण के माध्यम से पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी।