केरल शी पैड योजना : Keral She Pad Yojana

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केरल सरकार ने कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं के लिए मुफ्त सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए “शी पैड” की योजना शुरू की है। प्रारंभ में, इस योजना को राज्य के लगभग 300 सरकारी स्कूलों में कार्यान्वित किया जाएगा। यह योजना सरकारी स्कूलों में मुफ्त के सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए देश भर में इस तरह की पहली योजना है।

केरल “शी पैड’ योजना :

शी पैड योजना के तहत, सरकार स्कूलों में नैपकिन भंडारण आदि की जगह भी प्रदान करेगी। तदनुसार, हजारों महिला शिक्षकों और छात्रों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना का लाभ अगले वर्ष तक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों तक बढ़ाया जाएगा। सरकार ने सूचित किया है कि पिछले दो वर्षों में कुछ सरकारी स्कूलों में ऐसी व्यवस्था चलाने के बाद यह कदम उठाया गया। इसके अलावा, मौजूदा और पिछली सरकारों ने भी योजना पर विचार किया है।

केरल शी पैड स्कीम, फ्री सेनेटरी नैपकिन योजना :

इस योजना का उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन का मुफ्त वितरण प्रदान करना है। यह योजना मासिक धर्म की स्वच्छता के बारे में सार्वजनिक बहस को सामान्य करने का एक प्रयास है। यह सरकार की एक अच्छी पहल है क्योंकि मासिक धर्म की स्वच्छता हर लड़की का अधिकार है।

यह योजना मासिक धर्म की स्वच्छता की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करेगी। सरकार ने लगभग 30 करोड़ रु इस योजना को लागू करने के लिए स्वीकृत किया है। यह फंड स्थानीय पंचायतों और केरल राज्य महिला विकास निगम द्वारा दिया जाएगा।

2015-16 के नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, केरल में 10 युवा महिलाओं में से नौ पहले से ही निजी स्वच्छता उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं। शी पैड योजना केरल में मासिक धर्म की स्वच्छता की लड़ाई लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, सरकार लड़कों के लिए विभिन्न विद्यालयों में विपरीत लिंग में माहवारी पर स्वस्थ मानसिकता पैदा करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन करेगी। जिससे उन्हे सही जानकारी मिल सके और लोगो के मन मे मासिक धर्म के बारे मे व्याप्त गलत धारणाओ को दूर किया जा सके।

राज्य मुख्यमंत्री ने बोला, ”माहवारी के दौरान स्वच्छता रखना प्रत्येक लड़की का अधिकार होता है। इस योजना के जरिये न केवल सेनेटरी नैपकिन्स वितरण किया जाएगा बल्कि ‘शी पैड स्कीम’ के जरिये मासिक साफ सफाई के लिए लड़कियों को जागरूक भी किया जाएगा।

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