दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है, जिसके तहत देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बिजली प्रदान की जाएगी। इस योजना का नाम भारत के महान राजनेता, दर्शनशास्त्री दीन दयाल उपाध्याय जी के नाम पर रखा गया है। यह योजना मोदी सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है। मोदी जी ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए बिहार के पटना शहर को चुना है। देश में पिछले एक साल से इस योजना पर काम चल रहा है। DDUGJY के पहले इसी तरह की एक योजना गुजरात में पहले से ही कार्यरत है। इस योजना का मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों की ओर होगा, जहाँ गाँव में रहने वालों के घरों में बिजली की भी सुविधा नहीं होती है। DDUGJY को कांग्रेस सरकार द्वारा लाई गई ‘राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना’ से जोड़ दिया गया है।
योजना का नाम | दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना |
लॉन्च किया गया | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा |
प्रारंभिक वर्ष | जुलाई 2015 |
उद्देश्य | बिजली की सुविधा प्रदान करना |
योजना क्षेत्र | बिजली वितरण |
लाभार्थी | ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले नागरिक |
सम्बंधित विभाग / मंत्रालय | बिजली कोयला और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय |
ऑफिसियल वेबसाइट | http://www.ddugjy.gov.in/ |
फैक्स नंबर | 011-24360227 |
ईमेल | boshcoordination@gmail.com |
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का उद्देश्य :
इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार ले उद्देश्य है की ग्रामीण क्षेत्रो में जहाँ पर बिजली का लोड अधिक होता है वह पर उसकी पूर्ति की जाए और किसानो को पर्याप्त मात्र में बिजली आपूर्ति करवाई जाएगी सब-ट्रांसफर और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की गुणवता को बढ़ाया जायेगा और इसको सुदृढ़ बनाया जाता है।
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना :
- देश के ग्रामीण कृषि और गैर कृषि उपभोक्ता (घरेलू और गैर घरेलू लोड) आम तौर पर स्थानीय वितरण नेटवर्क के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। देश के बहुत से गाँव ऐसे है जहाँ बिजली की बहुत कमी है, आजादी के 70 साल बाद भी कई गाँव अन्धेरें में डूबे हुए है। इसके फलस्वरूप बिजली वितरण का बोझ सरकार पर बढ़ता है, इस प्रकार दोनों कृषि और गैर कृषि उपभोक्ता के लिए बिजली की आपूर्ति प्रभावित होती है।
- उपभोक्ता का रहन सहन बदल रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिन पे दिन बिजली की डिमांड बढ़ती ही जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में जीवन स्तर में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे को नियमित रूप से बदले जाने की जरूरत है।
- वितरण नेटवर्क में निवेश, वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय सेहत की वजह से कम है। इसलिए वितरण नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत है। बिजली वितरण की वाणिज्यिक व्यवहार्यता में सुधार करने के लिए, उपभोक्ताओं की सभी श्रेणियों को मीटरिंग करने की जरूरत है।
- योजना का मुख्य उद्देश्य है कि पूरा देश विद्युतीकरण हो जाये, मुख्य रूप से रूरल एरिया को टारगेट किया गया है।
- कृषि में फीडर विभक्तिकरण इस योजना का प्रमुख घटक है। इसके द्वारा सरकार तकनीकी बुनियादी ढांचे को कृषि उपभोक्ता से अलग कर सकेगी। इससे गैर कृषि घटक स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेंगें और गाँव को बेहतर विद्युतीकरण सुविधा मिलेगी।
योजना के मुख्य घटक हैं :
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर कृषि उपभोक्ताओं की आपूर्ति को विवेकपूर्ण तरीके से बहाल करने की सुविधा हेतु कृषि और गैर कृषि फीडरों का पृथक्करण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर / फीडरों / उपभोक्ताओं की नपाई सहित उप-पारेषण और वितरण की आधारभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण एवं आवर्धन।
- राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत पहले से ही मंजूर माइक्रो ग्रिड और ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क एवं ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाओं को पूरा किया जाना।
प्रधानमंत्री दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के लाभ :
- ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हरेक परिवार को बिजली की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- किसानों को खेती के लिए अथवा दूसरे व्यवसाय करने वाले लोगों को भी उनके उद्योग के हिसाब से बिजली सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
- बिजली का बिल मीटर के अनुसार ही आएगा अर्थात उतना ही आएगा जितनी बिजली इस्तेमाल की गई है।
- उच्च गुणवत्ता वाली पावर सप्लाई ग्रामीण इलाकों में की जाएगी।
- छोटे उद्योग वाले उद्योगपतियों को इस योजना के तहत इलेक्ट्रिसिटी की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली उत्पादन, बिजली ट्रांसमिशन, बिजली प्रबंधन किया जाएगा।
- गांव के जीवन को आधुनिक बनाने हेतु हर प्रकार की बिजली से संबंधित सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- सब ट्रांसमिशन सिस्टम के तहत हर गांव तक बिजली पहुंचाई जाएगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रिसिटी के बेहतर प्रबंध किए जाएंगे।
- इससे गांव के बुनियादी ढांचे में अच्छे स्तर का बदलाव आएगा।
- 24 घंटे बिजली गांव के घरों तक पहुंचाई जाएगी।
- खेतों तक बिजली से फसलों के उत्पादन में बढ़ावा होगा।
- ग्रामीण इलाकों में स्थित उद्योगों तक बिजली पहुंचने से उद्योगों की उत्पादकता में भी बढ़ोत्तरी होगी।
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की विशेषताएं :
- सभी गाँव में बिजली सुविधा देना।
- फीडर विभक्तिकरण के चलते किसानों को पर्याप्त बिजली दी जाएगी, इसके साथ ही अन्य उपभोक्ताओं की नियमित बिजली आपूर्ति पूरी ही जाएगी।
- सब-ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क में सुधार के कारण, पॉवर सप्लाई की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार आएगा।
- मीटरिंग से घाटा कम होगा।
- इस योजना के लिए शुरुवाती खर्चा 760 बिलियन का होगा, जिसमें भारत सरकार 630 बिलियन रुपय इस योजना में देगी।
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अधिक पॉवर सप्लाई की डिमांड को भी पूरा करेगा :
देश में जैसे जैसे विकास हो रहा है, बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ लोगों की जरूरतें भी बढ़ती जा रही है, इसमें बिजली की डिमांड भी मुख्य है। जनसँख्या वृद्धि की समस्या के कारण एवं निबंध को यहाँ पढ़ें। बिजली मानव जाति की एक सबसे बड़ी जरूरत बन गई है, जिस पर सभी मानव जाति का अधिकार है। शहरों के साथ साथ आजकल गाँव में भी बिजली की डिमांड बढ़ती जा रही है। जिन गाँव में बिजली है, उन्हें कृषि के लिए और अधिक बिजली की आवश्कता है। आजकल ज्यादातर कृषि उपकरण, यंत्र बिजली से चलते है, इससे कम समय में ज्यादा काम होता है। जिससे किसानों को मेहनत भी कम करनी पड़ती है, लेकिन इसके लिए उन्हें बिजली अधिक मात्रा में चाहिए। इसके फलस्वरूप बिजली की कटौती और बिजली की कमी मुख्य समस्या बन सामने आती है।
देश में लांच हुई DDUGJY योजना के द्वारा देश में बिजली की कमी का परमानेंट समाधान मिल जायेगा। अगर सरकार पहले की तरह पारंपरिक तकनीक या बिजली प्रबंधन और वितरण की तरह कार्य करती है, तो इस समस्या का समाधान कभी नहीं निकल सकता है। DDUGJY योजना एक नए तरीके की योजना है, जिसमें बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण में शहरों के साथ साथ गाँव में भी आधुनिकीकरण को लाया जा रहा है।
सब ट्रांसमिशन तकनीक :
पॉवर ट्रांसमिशन सिस्टम में सब ट्रांसमिशन तकनीक सबसे महत्वपूर्ण तकनीक मानी जाती है। सब ट्रांसमिशन कम वोल्टेज बिजली संचारण तकनीक है, यह इसलिए उपयोग की जाती है क्यूंकि मुख्य ट्रांसमिशन सिस्टम उच्च वोल्टेज पॉवर वहन कर सकता है। इसके फलस्वरूप सब ट्रांसमिशन सिस्टम छोटे छोटे से गाँव और सभी ग्रामीण क्षेत्र में पॉवर सप्लाई कर सकेगा। DDUGJY योजना के अंतर्गत देश के सभी सब ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूत किया जायेगा, जिससे सिस्टम में कोई भी खराबी नहीं निकलेगी, इसका परिणाम ये होगा कि देश के हर क्षेत्र में कुशल विद्युतीकरण प्रणाली स्थापित हो सकेगी।
DDUGJY योजना के अंतर्गत सरकार पॉवर सप्लाई की जाने वाली वितरण कंपनी, एजेंसी को फण्ड देगी। फण्ड की कमी से इस कंपनियों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। DDUGJY योजना देश में बिजली वितरण नेटवर्क को दुरुस्त करेगी। इस योजना के अंतर्गत सबसे बड़ा कदम ये लिया जा रहा है कि सभी उपभोक्ता को मीटर लगवाना अनिवार्य होगा। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी, साथ ही सरकार बिजली की चोरी और खपत पर निगरानी रख सकेगी।
नोडल एजेंसी की भूमिका :
- विद्युत मंत्रालय के समग्र मार्गदर्शन में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) योजना के कार्यान्वयन और संचालन के लिए नोडल एजेंसी है। नोडल एजेंसी को उनकी फीस के रूप में निगरानी समिति द्वारा अनुमोदित परियोजना लागत का 0.5% या अवार्ड कॉस्ट, जो भी कम हो, का भुगतान किया जाएगा।
- समय-समय पर इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक सभी दिशा निर्देशों और स्वरूपों को अधिसूचित करना।
- निगरानी समिति को प्रस्तुत करने से पूर्व (डीपीआर) का मूल्यांकन करना।
- मंजूरी के लिए निगरानी समिति की बैठकों का आयोजन करने के लिए संबंधित सभी काम संचालित करना।
- अनुदान घटक का प्रशासन।
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के प्रस्तुतीकरण और परियोजनाओं के एमआईएस को संधारित करने के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल का विकास।
- कार्यों की गुणवत्ता सहित परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी।
निगरानी समिति :
सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता में निगरानी समिति परियोजनाओं को मंजूरी देगी और इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। योजना के तहत निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार इस योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय, राज्य सरकार और डिस्कॉम के बीच उपयुक्त त्रिपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा। राज्य विद्युत विभागों के मामलों में द्विपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा।
कार्यान्वयन की विधिकार्यान्वयन की विधि :
परियोजना को टर्नकी आधार पर लागू किया जाएगा। खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित मूल्य के आधार पर (बदलाव के लिए प्रावधान के बिना) टर्नकी अनुबंध प्रदान किया जायेगा। निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन की सूचना के तीन महीने के भीतर परियोजनाओं को सम्मानित किया जाना है। हालांकि, असाधारण परिस्थितियों में निगरानी समिति के अनुमोदन के साथ आंशिक टर्नकी / विभागीय आधार पर निष्पादन अनुमति दी जाएगी।
वित्तपोषण तंत्र :
योजना का अनुदान भाग विशेष श्रेणी के राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए 60% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 75% तक) और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 90% तक) है। अतिरिक्त अनुदान के लिए मील के पत्थर योजना को समय पर पूरा करना, प्रति प्रक्षेपवक्र एटीएंडसी नुकसान में कमी और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी की अग्रिम रिलीज हैं। सभी पूर्वोत्तर राज्यों सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित को विशेष राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया हैं।
योजना के तहत बहिष्करण :
- पहले से ही भारत सरकार की अन्य योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्य (आरजीजीवीवाई, एनईएफ, आर-एपीडीआरपी आदि)।
- एपीएल उपभोक्ताओं के लिए सेवा लाइन।
- भूमिगत केबल कार्य।
- सब-स्टेशन के लिए भूमि की लागत।
- सब-स्टेशन के अलावा अन्य सिविल कार्य।
- रास्ते के अधिकार हेतु मुआवजा।
- वितरण स्वचालन और आईटी अनुप्रयोग।
- कार्यालय उपकरण।
- अनिवार्य पुर्जों के अलावा अन्य पुर्जे।
- उपकरण और पौधे (टी एंड पी)।
- वाहन।
- एएमआर / एएमआई, प्रीपेड मीटर और स्मार्ट मीटर।
- वेतन और स्थापना व्यय।