मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत 17 फरवरी 2015 में भारत सरकार द्वारा की गई है। इस योजना के तहत सरकार की किसानों के लिए एक सोइल कार्ड जारी करने की योजना है, जिससे किसान को मिट्टी की गुणवत्ता का अध्ययन करके एक अच्छी फ़सल प्राप्त करने में सहायता मिल सके। फ़सल के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होती है मिट्टी, यदि मिट्टी की क्वालिटी ही सही नहीं होगी तो फ़सल भी सही से नहीं होगी। इसलिए भारत सरकार ने किसानों के लिये यह कार्ड जारी किया है। इस स्कीम के अनुसार सरकार का 3 साल के अंदर ही पूरे भारत में लगभग 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड जारी करने का उद्देश्य है। इस कार्ड में एक रिपोर्ट छपेगी, जोकि किसानों को अपने खेत या जमीन के लिए तीन साल में एक बार दी जाएगी।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। भारत में ऐसे बहुत से अशिक्षित किसान है, जो यह नहीं जानते कि अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए किस तरह की फ़सलों को विकसित करना चाहिए। मूल रूप से, वे मिट्टी के गुण और उसके प्रकार नहीं जानते है। वे अपने अनुभव से फसलों का बढ़ना और फसलों का असफल होना जान सकते है किन्तु वे यह नहीं जानते कि मिट्टी की हालत को कैसे सुधारा जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार ने एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जारी की है-
इस योजना के तहत किसानों को एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जायेगा, जिसमें किसानों के जमीन की मिट्टी किस प्रकार की है इसकी जानकारी दी जाएगी। उन्हें एक सूची दी जाएगी कि उनकी जमीन में किस प्रकार की फ़सल लग सकती है जिससे उन्हें अधिकतम लाभ हो, एवं उनकी जमीन की मिट्टी में क्या सुधार करने की आवश्यकता है यह भी बताया जायेगा। सोइल हेल्थ कार्ड एक रिपोर्ट कार्ड है जोकि मिट्टी के गुण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। जैसे मिट्टी के प्रकार के बारे में, पोषक तत्व सामग्री, आवश्यक खाद, फ़सल के लिए स्युटेबल तापमान और वर्षा की हालत आदि। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य खाद के उपयोग से मिट्टी के आधार और संतुलन को बढ़ावा देना है जिससे किसानों को कम कीमत में अधिक पैदावर मिल सके।
योजना का नाम | मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना |
किसके द्वारा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
लॉन्च तारीख | 17 फरवरी 2015 |
उद्देश्य | देश के किसानो को लाभ पहुँचाना |
लाभ | फसलों के उत्पादन में वृद्धि |
लाभार्थी | देश के किसान |
विभाग | कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय |
आधिकारिक वेबसाइट | https://soilhealth.dac.gov.in/ |
ईमेल | helpdesk-soil@gov.in |
हेल्पलाइन नंबर | 011-24305591 / 011-2430548 / 1800 180 1551 |
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना क्या है? :
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार द्वारा किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ देने के लिए लाई गई एक योजना है। जिसका क्रियान्वयन राज्य और केंद्र सरकार के कृषि विभागों के माध्यम से किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य हर किसान को उसके खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की स्थिति के बारें में जानकारी देना और मिट्टी की स्थिति में सुधार के संबंध में सलाह देना है। ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता को लगातार बनाए रखा जा सके।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत फरवरी 2015 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई थी। इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा किसान भाइयों को खेती की मिट्टी जांच के लिए एक कार्ड जारी किया जाता है। जिसमें किसान भाइयों के खेत की मिट्टी के बारें में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इस जानकारी के माध्यम से किसान भाई उपयुक्त फसल को उगाकर अच्छा लाभ कमा सकता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का लाभ किसान भाइयों को अप्रत्यक्ष रूप से मिलता हैं। सॉइल हेल्थ कार्ड के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर किसान भाई अपने खेतों में उचित मात्रा में पोषक तत्व डालकर मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। और उर्वरकों के अधिक दोहन को कम कर भूमि की उपजाऊ क्षमता में भी वृद्धि कर सकते है। इस योजना के लिए सरकार की तरफ से 14 करोड़ किसानों को कार्ड देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का चलन अभी कुछ समय पहले ही शुरू हुआ है, और यह देश में धीरे –धीरे बढ़ रहा है, ताकि किसानों को अपनी मिटटी की जांच के लिए यहाँ वहां भटकना न पड़े। मोबाइल प्रयोगशाला के पहले देश में कई स्थानों पर स्थिर रूप से मृदा परीक्षण प्रयोगशाला चलती आ रही है। यहाँ पर किसान खुद अपनी मिटटी का सैंपल लेकर जाते है, और जांच करवाते है। इन केन्द्रों तक आने जाने और रिपोर्ट आने में बहुत समय ख़राब होता था। सरकार ने किसानों की राह को और आसान करने के लिए यह सुविधा शुरू की है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य :
- देश के सभी किसानों को प्रत्येक 3 वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना, ताकि उर्वरकों के इस्तेमाल में पोषक तत्त्वों की कमियों को दूर करने का आधार प्राप्त हो सके।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के संपर्क में क्षमता निर्माण, कृषि विज्ञान के छात्रों को शामिल करके मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के क्रियान्वन को मजबूत बनाना।
- सभी राज्यों में मृदा के नमूनों को एकीकृत करने के लिये मानकीकृत प्रक्रियाओं के सहित मृदा उर्वरता संबंधी बाधाओं का पता लगाना और विश्लेषण करना तथा विभिन्न ज़िलों में तहसील/उपखंड स्तरीय उर्वरक संबंधी सुझाव तैयार करना।
- पोषक तत्त्वों का प्रभावकारी इस्तेमाल बढ़ाने के लिये विभिन्न ज़िलों में पोषण प्रबंधन पर आधारित मृदा परीक्षण सुविधा विकसित करना तथा उन्हें बढ़ावा देना।
- इसके माध्यम से पोषक प्रबंधन परंपराओं को बढ़ावा देने के लिये ज़िला और राज्यस्तरीय कर्मचारियों के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों का क्षमता निर्माण करना।
मिट्टी की जांच के उद्देश्य :
- मिटटी में कौन-कौनसे पोषक तत्व है, उसकी तत्कालीन स्थति के बारे में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के द्वारा अधिकारी किसानों को जानकारी देते है।
- मिटटी में कौनसे पोषक तत्व है, उनसे किसकी खेती हो सकती है, यह सभी जानकारी दी जाती है।
- मिटटी की कौनसी दशा है, उसे कैसे ठीक किया जा सकता है, क्या उर्वरक डालें, कैसे सुधार होगा, सभी जानकारी किसानों को मिलेगी।
- सही और संतुलित उर्वरक के बारे में जानकारी देना और उसकी मात्रा के बारे में जानकारी देना।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का मुख्य तथ्य :
- इस योजना के तहत, देश के किसानों का मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिट्टी की जांच करके प्रदान किया जाना है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 2021 का लाभ सरकार द्वारा देश के 14 करोड़ किसानों को प्रदान किया जाएगा।
- किसानों को उनके खेतों के अनुसार फसल लगाने का सुझाव दिया जाएगा।
- इस कार्ड के तहत किसानों को एक रिपोर्ट दी जाएगी, और इस रिपोर्ट में उनकी जमीन की मिट्टी के बारे में पूरी जानकारी होगी।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड 2021 के तहत, किसानों को एक खेत के लिए हर 3 साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा।
- भारत सरकार ने रुपये का बजट तय किया है। इस योजना के तहत 568 करोड़ रु.।
- देश के सभी किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
- केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण के पहले चरण (2015-2017) में 10.74 करोड़ कार्ड और दूसरे चरण (वर्ष 2017-2019) में 11.69 करोड़ कार्ड वितरित किए हैं।
- इन कार्डों की मदद से, किसानों को अपने खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार करने के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करने के साथ मिट्टी की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी मिल रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का क्रियान्वयन :
- आपके द्वारा आवेदन किये जाने के बाद आपके खेत की मिट्टी के सैंपल को सम्बंधित अधिकारियो के द्वारा इकठ्ठा किया जायेगा।
- इसके बाद मिट्टी का लेबोरेटरी में परिक्षण करके मिट्टी के बारे में सभी जानकारियाँ प्राप्त की जाएँगी।
- मिट्टी की जाँच से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विभिन्न मिट्टी के सैंपल की ताकत और कमजोरी की सूची बनाई जाएगी।
- यदि मिट्टी के किसी प्रकार की कमी पायी जाती है तब किसान को उसके सुधार के लिए सुझाव दिया जायेगा।
- इसके लिए एक रिपोर्ट तैयार करके किसान को ऑनलाइन मोड में उपलोड की जाएगी।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के फ़ायदे :
- यह योजना के तहत किसानों की मिट्टी की पूरी तरह से जाँच की जाएगी और उन्हें इसकी रिपोर्ट दी जाएगी। जिससे वे यह निश्चय कर सकेंगे कि किस फ़सल को विकसित करना चाहिए और किसे छोड़ देना चाहिए।
- अथॉरिटी नियमित आधार पर मिट्टी की जाँच करेगी। जैसे लवणीयता क्षारीयता और अम्लीयता की पूरी जाँच होगी। हर 3 साल में किसानों को इसकी एक रिपोर्ट दी जाएगी। यदि कुछ फैक्टर्स के दौरान मिट्टी में बदलाव होते हैं तो किसान को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमेशा उनकी मिट्टी के बारे में डेटा को अपडेट किया जायेगा।
- सरकार का यह काम बिना रुके मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उपायों की सूची बनाता रहेगा। यहाँ तक कि विशेषज्ञ किसानों को सुधारात्मक उपाय देने में सहायता भी करेंगे।
- नियमित रूप से मिट्टी की जाँच होने से किसानों को लम्बे समय तक मिट्टी को स्वस्थ रखने का रिकॉर्ड पाने में मदद मिलेगी। इसके अनुसार वे इसका अध्ययन कर अलग मिट्टी के मैनेजमेंट के तरीकों के परिणामों का मुल्यांकन कर सकेंगे।
- यह कार्ड बहुत ही मददगार और प्रभावशाली बन सकता है जब समय की अवधि में एक ही व्यक्ति द्वारा यह नियमित रूप से भरा जाये।
- यह सोइल कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में होने वाली कमी भी बतायेगा, जिससे वे यह समझ सकेंगे कि किस फ़सल का निवेश करना चाहिए, और वे यह भी बतायेंगे कि मिट्टी को किस खाद की जरुरत है जिससे अंत में फ़सल की उपज की वृद्धि हो सके।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य पर्टिकुलर मिट्टी के प्रकार को खोजना है और विशेषज्ञों द्वारा इसमें जो सुधार की आवश्यकता है उसे उपलब्ध कराना है। साथ ही उसमे यदि कुछ कमी है तो उसे भी पूरा करना है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लक्ष्य :
- देश के सभी किसानों को प्रत्येक 3 वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना, ताकि उर्वरकों के इस्तेमाल में पोषक तत्त्वों की कमियों को पूरा करने का आधार प्राप्त हो सके।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के संपर्क में क्षमता निर्माण, कृषि विज्ञान के छात्रों को शामिल करके मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के क्रियाकलाप को सशक्त बनाना।
- राज्यों में मृदा नमूनों को एकीकृत करने के लिये मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ मृदा उर्वरता संबंधी बाधाओं का पता लगाना और विश्लेषण करना तथा विभिन्न ज़िलों में तालुका/प्रखंड स्तरीय उर्वरक संबंधी सुझाव तैयार करना।
- पोषक तत्त्वों का प्रभावकारी इस्तेमाल बढ़ाने के लिये विभिन्न ज़िलों में पोषण प्रबंधन आधारित मृदा परीक्षण सुविधा विकसित करना और उन्हें बढ़ावा देना।
- पोषक प्रबंधन परंपराओं को बढ़ावा देने के लिये ज़िला और राज्यस्तरीय कर्मचारियों के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों का क्षमता निर्माण करना।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का लाभ :
- योजना के अंतर्गत जारी कार्ड के माध्यम से किसान यह जान सकता है कि उसके खेत की मृदा में कौन-कौन से पौषक तत्वों की कमी है।
- कार्ड के अनुसार वह अपनी मृदा के पौषक तत्वों की कमी को आसानी से दूर कर सकता है।
- सभी किसानों के लिए हर 3 वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है।
- स्वास्थ्य मिट्टी होने से किसानों की फसल पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे उनकी आय में भी इजाफा होगा।
- ग्रामीण युवा अपने क्षेत्र में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थपित कर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं।
- यदि ग्रामीण युवा 5 लाख के बजट के साथ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला खोलता है तो 75% राशि का वहन केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
- हर 2 वर्ष में राज्य सरकार मृदा में आये पोषक तत्वों की पहचान कर उनमें सुधार करने में किसान की सहायता करती है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का विशेषताएं :
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को केंद्र सरकार द्वारा आरंभ किया गया है।
- इस योजना के माध्यम से किसान अपने खेत की मिट्टी की उपज बढ़ा सकते हैं।
- मुद्रा स्वास्थ्य कार्ड योजना के नाम से भी इस योजना को जाना जाता है।
- इस योजना के अंतर्गत एक कार्ड प्रदान किया जाता है जिसके माध्यम से किसान अपने खेत की जमीन की मिट्टी का प्रकार जान सकता है।
- यदि किसानों को अपने खेत की मिट्टी का प्रकार पता होगा तो उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार फसल लगाने में आसानी होगी और अच्छी खेती की जा सकेगी एवं ज्यादा मुनाफा प्राप्त किया जा सकेगा।
- किसानों को उनके खेत की मिट्टी से संबंधित सभी जानकारी मुद्रा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
- सन 2015 में इस योजना को आरंभ किया गया था।
- इस योजना को किसानों की आय में वृद्धि करने एवं खाद के उपयोग से मिट्टी के आधार और संतुलन को बढ़ाने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था।
- कम कीमत में फसल की अधिक पैदावार भी इस योजना के माध्यम से सुनिश्चित की जा सकेगी।
- इस योजना के अंतर्गत जो मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को प्रदान किया जाएगा उसमें किसानों को अपने खेत के अनुसार फसल लगाने के सुझाव भी प्रदान किए जाएंगे।
- इस कार्ड के माध्यम से किसानों को यह भी जानकारी प्रदान की जाती है कि मिट्टी के अंदर कितनी मात्रा में क्या चीज है एवं किस फसल के लिए कितनी खाद और कौन सी खाद का उपयोग किया जाए।
- सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के माध्यम से किसानों के उत्पाद में भी बढ़ोतरी होगी।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना क्यों जरूरी है? :
कुछ राज्यों में किसानों को उनकी मिट्टी के बारे में रिपोर्ट पहले से ही दी जा रही थी। कुछ किसान शिक्षित थे जोकि अपनी मिट्टी को बेहतर समझ सकते थे। किन्तु पूरे भारत में यह करने के लिए इस स्कीम को लाना जरुरी था। कुछ किसान जो शिक्षित नहीं हैं उन्हें यह पता नहीं होता कि इसके लिए क्या दृष्टिकोण होना चाहिए और क्या करना चाहिए। इस कारण सरकार ने सोइल हेल्थ कार्ड स्कीम लोंच की। अब, किसान मिट्टी की प्रकृति की जानकारी के साथ यह जान जायेगा कि उसे कितनी खाद की जरुरत है। यदि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा हो या वे सुधारात्मक सुझाव को समझने में असमर्थ हों तो वे विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना कैसे काम करता है? :
- सर्वप्रथम अधिकारी आपके खेत की मिट्टी के सेम्पल को इकठ्ठा करेंगे।
- इसके बाद मिट्टी को परीक्षण के लिए लेबोरेटरी में भेजा जायेगा।
- वहां विशेषज्ञ मिटटी की जाँच करते हैं और मिटटी के बारे में सभी जानकारियाँ प्राप्त करते हैं।
- इसके बाद वे विभिन्न मिट्टी के सैंपल की ताकत और कमजोरी की सूची बनायेंगे।
- यदि मिट्टी में कुछ कमी है तो उसके सुधार के लिए सुझाव देंगे और उसकी एक सूची बनायेंगे।
- उसके बाद इस रिपोर्ट को एक-एक करके किसान के नाम के साथ ऑनलाइन अपलोड किया जाता है।
- जिससे की किसान अपने मिटटी का रिपोर्ट जल्द से जल्द देख सके और उनके मोबाइल पर भी इसकी जानकारी दी जाती है।
मृदा हेल्थ कार्ड पर उपस्थित जानकारी :
- मिट्टी की सेहत
- खेत की उत्पादक क्षमता
- पोषक तत्व की मौजूदगी एवं पोषक तत्व की कमी
- पानी की मात्रा यानी नमी
- अन्य उपस्थित पोषक तत्व
- खेतों की गुणवत्ता सुधारने हेतु उचित दिशनिर्देश
मृदा के स्वास्थ्य की जाँच कैसे की जाती है? :
- मृदा के स्वास्थ्य की जाँच करने के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी का एक नमूना लिया जाता है।
- नमूना लेने के बाद मिटटी के नमूने को प्रयोगशाला में परीक्षण करने के लिए भेजा जाता है।
- वहां पर मिटटी के विशेषज्ञों के द्वारा मिटटी की जाँच की जाती है और मिटटी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जाती है।
- उसके बाद मिटटी की एक रिपोर्ट तैयार की जाती है कौन कौनसे तत्व की मिटटी में कमी और कौनसे तत्व की अधिकता है।
- रिपोर्ट तैयार करने के बाद किसानो की रिपोर्ट को उनके नाम के आधार पर डाटा को नेट पर अपलोड किया जाता है ताकि किसान जल्द से जल्द इस रिपोर्ट को देख सके और इस रिपोर्ट को उनके फ़ोन पर भी मैसेज के द्वारा भेज दिया जाता है।
आयु सीमा :
- न्युनतम – 18 वर्ष
- अधिकतम – 40 वर्ष
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के दस्तावेज :
- आधार कार्ड
- स्थायी प्रमाण पत्र
- जमीनी दस्तावेज
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नम्वर