भारत के प्यारे देशवासियों भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2019 एक नई योजना ही है। केंद्रीय सरकार द्वारा किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा की के लिए किया गया है। इस योजना का नाम कुसुम योजना 2019 रखा गया है। कुसुम योजना के तहत किसान अपनी भूमि सौर ऊर्जा यंत्र लगा सकते हैं।भारत सरकार द्वारा शुरू की गई। इस योजना का मुख्य लक्ष्य देश के सभी किसानो को अधिक से अधिक बिजली उपलब्ध कराना है जिसके लिए सरकार द्वारा किसानो को उन्नत तकनीक प्राप्त कराई जाएगी शायद ही आपको इसके बारे में पता होगा की इस सौर पंप के कई अधिक लाभ है।
जैसे कि किसानो को सिंचाई करते समय सहायता प्रदान करना तथा इसके साथ ही किसानो को सुरक्षित उर्जा उत्पन्न कराना आदि इसके अलावा, इस योजना के अंतर्गत, किसान अतिरिक्त बिजली सीधे सरकार को बेच सकते हैं जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी।सौर ऊर्जा यंत्र लगाने के लिए भारत कि सरकार की तरफ से किसानों की कुल लागत पर 60% हिस्सा केंद्रीय सरकार द्वारा किसानों को दिया जाएगा। प्यारे दोस्तों जैसा कि आप मान लीजिए आपका सौर ऊर्जा लगाने के लिए 1 लाख रुपए खर्च होते हैं। को आपको केंद्रीय सरकार की तरफ से 60 हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
कुसुम योजना
यह भारत सरकार की 4 लाख करोड़ की एक योजना है जिसके अंतर्गत किसानों की सहायता के लिए 28,250 MW तक सौर ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
कुसुम योजना के अनुसार बंजर भूमियों पर स्थापित सौर ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली में से surplus अंश को किसान ग्रिडों को आपूर्ति कर सकेंगे जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा।
इसके लिए, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को किसानों से पाँच वर्षों तक बिजली खरीदने के लिए 50 पैसे प्रति इकाई की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
सरकार किसानों कोखेतों के लिए 5 लाख ऑफ़-ग्रिड (ग्रिड रहित) सौर पम्प खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी। केंद्र और राज्य प्रत्येक सौर पम्प पर 30% सब्सिडी प्रदान करेंगे। अन्य 30% ऋण के माध्यम से प्राप्त होगा, जबकि 10% लागत किसान द्वारा वहन की जायेगी।
7,250 MW क्षमता केग्रिड से सम्बद्ध (ग्रिड-कनेक्टेड) खेतों के पम्पों का सौरीकरण (Solarisation) किया जाएगा।
सरकारी विभागों के ग्रिड से सम्बद्ध जल पम्पों का सौरीकरण किया जाएगा।
नाम [Name] | कुसुम योजना |
पूरा नाम [Full Form] | किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महा अभियान |
घोषणा [Launch Date] | 2 फरवरी |
मुख्य पात्रता [Eligibility] | किसान |
किस विभाग मे शामिल हैं ?[kusum scheme under which ministry] | Ministry of New and Renewable Energy |
कुसुम योजना का उद्देश्य
- किसान ऊर्जा सुरक्षा व उत्थान महाअभियान (कुसुम)। योजना के तहत 2022 तक देश में तीन करोड़ पंपों को बिजली या डीजल की जगह सौर ऊर्जा से चलाया जाएगा।
- कुसुम योजना पर कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें केंद्र सरकार 48 हजार करोड़ रुपये योगदान करेगी, जबकि इतनी ही राशि राज्य सरकारें देंगी।
- किसानों को कुल लागत का सिर्फ 10 फीसद ही उठाना होगा, जबकि लगभग 45 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम बैंक लोन से किया जाएगा।
- पहले चरण में उन पंप को शामिल किया जाएगा जो डीजल से चल रहे हैं। इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे डीजल की खपत कम होगी।
- यह योजना किसानों को दो तरह से फायदा पहुंचाएगी। एक तो उन्हें मुफ्त में सिंचाई के लिए बिजली मिलेगी और दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बना कर ग्रिड को भेजते हैं तो उसके बदले कीमत भी मिलेगी।
कुसुम योजना का लाभ
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की कुसुम योजना के दो प्रकार के लाभ हैं । अर्थात केंद्र सरकार की कुसुम योजना देशव्यापी कृषकों को दो रूपों में लाभ मिलेगा । प्रथमतया उन्हें सिंचाई के लिए निशुल्क विद्युत् पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होगी, द्वितीय दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बना कर ग्रिड को भेजने पर उन्हें आय की प्राप्ति भी होगी । किसी कृषक के स्वामित्व में बंजर भूमि होने की स्थिति में उसका प्रयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कर सकता है । इस कारण ऐसे किसानों को उन्हें बंजर जमीन से भी धनार्जन होने लगेगा ।
कुसुम योजना का लक्ष्य: एक अनुमान के अनुसार कुसुम योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार प्राथन चरण में देश-भर में 27.5 लाख सोलर पंपसेट निःशुल्क दे रही है । कुसुम योजना वर्ष जुलाई 2018 से ही कार्यान्वित हो चुकी है ।
कुसुम योजना – एक विकल्प: जिन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत झर्झर (पॉवर ग्रिड) नहीं है, उन समस्त स्थानों में कुसुम योजना के अंतर्गत कृषकों को 17.5 लाख सौर पंपसेट प्रदान किए जाने का लक्ष्य है । इसके अतिरिक्त जिन जगहों पर पॉवर ग्रिड हैं, वहां समस्त कृषकों को 10 लाख पंपसेट प्रदान किए जाने का लक्ष्य है ।
केंद्र सरकार के मतानुसार विद्युत में बड़ी मितव्ययिता (Massive Saving) को सुनिश्चित करने हेतु सिंचाई पंप में सौर ऊर्जा का प्रयोग किए जाने के परिणामस्वरूप विद्युत में प्रथमतया ०१) मितव्ययिता (Saving) एवं द्वितीय ०२) 28 हजार मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन लक्ष्य भी संभव हो जावेगा ।
कुसुम योजना के अगले चरण में केंद्र सरकार देशव्यापी कृषकों को उनके कृषि भूमि में ऊपर या खेतों की मेड़ पर सोलर पैनल लगा कर सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की स्वीकृति देगी । कुसुम योजना के तहत 10,000 मेगावाट के सोलर इनर्जी प्लांट किसानों की बंजर भूमि पर लगाये जाने का लक्ष्य है ।
कुसुम योजना को लेकर प्रतिवेदन में वर्णित चिंताएँ
- प्रतिवेदन के अनुसार कुसुम योजना से भूजल के अत्यधिक शोषण का खतरा है।
- विद्युत वितरण प्रणालियों पर सब्सिडी का जो बोझ है वह इस योजना से नहीं घटेगा क्योंकि पम्प लगाने को सब्सिडी युक्त कृषि ऊर्जा आपूर्ति में घटत के साथ नहीं जोड़ा गया है। सब्सिडी युक्त सौर पम्प लगाये तो जा रहे हैं परन्तु उनके साथ-साथ कृषि आपूर्ति अथवा सब्सिडी में कटौती नहीं की जा रही है। परिणामतः राज्यों के ऊपर आने वाले सब्सिडी का भार बढ़ सकता है।
- यह ठीक है कि खेती के लिए फीडरों के सौरीकरण और ग्रिड से जुड़े सौर पम्पों को लगाना आर्थिक रूप से ग्रिड से नहीं जुड़े पम्पों को लगाने से अधिक अच्छे विकल्प हैं क्योंकि इनसे ग्रिड में अतिरिक्त बिजली आ सकती है। परन्तु योजना में पानी के प्रयोग को सीमित करने के उपाय नहीं बताये गये हैं।
- खेतों में सौर संयंत्र लगाने की योजना धनी किसानों को ही लाभ पहुँचायेगा क्योंकि इसमें बहुत पैसा लगता है और लगाने वाले के पास भूमि को 25 वर्षों के लिए पट्टे पर देना सब के लिए संभव नहीं होता।
कुसुम योजना को लेकर प्रतिवेदन में वर्णित सुझाव
- सौर पम्प की योजना के साथ-साथ वैसे स्पष्ट एवं कठोर उपाय भी होने चाहिएँ जिनसे भूजल निष्कासन पर दृष्टि रखी जा सके और उसे नियंत्रित किया जा सके। जो राज्य ऐसे उपाय करने के लिए तैयार हों उन्हीं को सौर पम्प की योजनाओं के लिए निधि मुहैया करनी चाहिए।
- फीडरों को सौर ऊर्जा से चलने वाला बनाना सबसे किफायती उपाय है, परन्तु इसके साथ-साथ कृषि शुल्क और ऊर्जा आपूर्ति की काल-सीमा भी धीरे-धीरे घटाई जानी चाहिए।
- यह सच है कि जिन क्षेत्रों में पानी के कमी के चलते किसान दु:खी रहते हैं, वहाँ ग्रिड से जुड़े पम्प लगाना एक अच्छा विकल्प है। परन्तु नेट मीटर की जगह पर एकतरफ़ा ऊर्जा प्रवाह की व्यवस्था आवश्यक है क्योंकि इससे पानी की निकासी को सीमित किया जा सकता है।
- ग्रिड से नहीं जुड़े पम्प केवल अपवाद स्वरूप उन क्षेत्रों में लगाने चाहिएँ जहाँ बिजली नहीं पहुँची है और भूजल का स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा है।
- छोटे ग्रिड के मॉडल अपनाकर बिना ग्रिड वाले पम्पों का प्रचालन बढ़ाया जा सकता है जिससे कि अधिकाई बिजली का प्रयोग घरों में अथवा अन्य आर्थिक कामों में लगाई जा सके।
- छोटे और सीमान्त किसानों को सौर पम्प देने के विषय में स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित होने चाहिएँ। इसके लिए छोटे और सीमान्त किसानों को वित्त की सुविधा सुलभ बनानी चाहिए।
- विद्युत वितरण को कारगर बनाने के लिए सम्बंधित कम्पनियों से पम्प के अधिष्ठापन, संचालन, विपत्र निर्माण और किसानों द्वारा हुए भुगतान के विषय में नियमित रूप से प्रतिवेदन लेना होगा।
कुसुम योजना की मुख्य बातें
- इस योजना से सौर ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों की बिजली के बिल काफी मात्रा में कम होंगे।
- सौर ऊर्जा उपकरण स्थापित करने के लिए किसानों को केवल 10% राशि का भुगतान करना होगा।
- केंद्र सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी।
- सौर ऊर्जा के लिए प्लांट बंजर भूमि पर लगाये जाएंगे।
- कुसुम योजना में बैंक किसानों को लोन के रूप में 30% रकम देंगे।
- सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 60% रकम देगी।
- इस योजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा बजट 2018-19 में अगले 10 वर्षों के लिए 48,000 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं।
केंद्र सरकार की कुसुम योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। - फायदे : कुसुम (KUSUM) योजना पहले केवल भारत के ग्रामीण ईलाको में अपनी सुविधाये उपलब्ध कराती थी, और इसके लिए केवल पंप की लागत पर 30 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती थी। परंतु अब यह सब्सिडी बढाकर 60 प्रतिशत कर दी गयी है। इसके अतिरिक्त उन संस्थानों को भी प्रोत्साहन दिया जायेगा जो किसानों जो किसानों द्वारा उत्पन्न की गयी बिजली खरीदेंगे ।
- उत्पादन क्षमता : इस वर्ष भारत सरकार ने कुसुम (KUSUM) योजना के अंतर्गत 48000 करोड़ रुपय का बजट आवंटित किया है, तथा अगले 10 वर्षो में इसके द्वारा 28,250 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
- इस योजना के चार मुख्य भाग है, जिसके अंतर्गत प्रथम भाग में 17।5 लाख सोलर पंपों का वितरण किया जाना है। इसके बाद भारत में उपलब्ध बंजर भूमि पर 10,000 मेगावाट क्षमता वाले सयंत्र स्थापित किये जायेंगे। और 8250 मेगावाट क्षमता वाले सरकारी ट्यूबवेल और 7250 मेगावाट क्षमता वाले पहले से उपलब्ध ट्यूबवेल को सौरऊर्जा से जोड़ा जा रहा है।
कुसुम योजना की विशेषताएं
- किसानों की भलाई के लिए – इस कार्यक्रम का सफल संचालन किसानों को न केवल उनकी बिजली संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा बेचकर कुछ अतिरिक्त नकदी अर्जित करने में भी सक्षम होगा।
- बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना – सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह पौधों के निर्माण के लिए पहल करेगी, जिससे सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी। मसौदे के अनुसार, ये संयंत्र केवल बंजर भूमि क्षेत्रों पर लगाए जाएंगे, जो कुल 28, 250 मेगावाट बिजली पैदा करने में सक्षम हैं।
- सौर ऊर्जा संचालित पंपों का वितरण – इस कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य सौर पंपों के साथ इच्छुक किसानों को प्रदान करना है। सरकार का कहना है कि कृषि मजदूरों को 17.5 लाख सौर ऊर्जा संचालित पंप उपलब्ध कराए जाएंगे।
- छोटे पैमाने पर बिजली उत्पादन – सौर ऊर्जा संयंत्रों के अलावा, सरकार खेतों में नए सौर पंपों की स्थापना की दिशा में काम करेगी, जो डीजल पंप हैं। इन पंपों की क्षमता 720 मेगावाट होगी।
- नलकूपों से विद्युत उत्पादन – सरकार अद्वितीय नलकूपों की स्थापना की दिशा में भी काम करेगी। इनमें से प्रत्येक पंप 8250 मेगावाट की बिजली पैदा करने में सक्षम होगा।
- अतिरिक्त बिजली की बिक्री – वितरण के अलावा, यह योजना सभी किसानों को सौर पंप स्थापित करके अधिक पैसा कमाने का मौका भी प्रदान करती है। किसानों द्वारा उत्पादित ऊर्जा की अधिक मात्रा ग्रिड को बेची जा सकती है।
- योजना की अवधि – वर्तमान अनुमान बताता है कि इस विस्तृत योजना के सफल समापन के लिए, केंद्र सरकार को कम से कम 10 वर्षों तक काम करना होगा।
- योजना की सब्सिडी संरचना – कुसुम योजना के अनुसार, प्रत्येक किसान को नए और बेहतर सौर ऊर्जा संचालित पंपों पर भारी सब्सिडी मिलेगी। उन्हें कृषि मजदूरों को एक सोलर पंप स्थापित करने के लिए कुल खर्च का केवल 10% खर्च करना होगा। केंद्र सरकार 60% लागत प्रदान करेगी, जबकि शेष 30% का क्रेडिट के रूप में बैंक द्वारा दिया जाएगा।
- समग्र पर्यावरण संरक्षण हेतु – सौर ऊर्जा और सौर संयंत्रों से उत्पन्न बिजली के बढ़ते उपयोग से क्षेत्र में शुद्धिकरण का स्तर कम होगा। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता बहुत कम हो जाएगी।
कुसुम योजना की पात्रता
- आवेदन करने वाला किसान होना चाहिए।
- आधार कार्ड का होना अनिवार्य है।
- आवेदन करने के लिए बैंक का अकाउंट नंबर भी होना चाहिए।
कुसुम योजना के लिये ऑनलाइन आवेदन कैसे करे ?
- कुसुम योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें, यह जानकारी नीचे प्रदर्शित की गई है –
- सबसे पहले आपको अधिकारिक वेबसाइट https://kusum.online/ पर क्लिक करना होगा।
- इसके बाद आप इसके होमपेज पर पहुँच जायेंगे जहाँ आपको ‘आवेदन करें’ लिंक पर क्लिक करना होगा। यहाँ आप इस लिंक https://kusum.online/register/ पर क्लिक करके सीधे पहुंच सकते हैं।
- आपकी स्क्रीन पर एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म दिखाई देगा। यहाँ आपको अपनी सभी जानकारी जैसे किसानों का नाम, मोबाइल नंबर, ई – मेल आईडी एवं अन्य पूछी जाने वाली सभी जानकारी देनी होगी।
- सभी जानकारी सफलतापूर्वक इंटर कर देने के बाद आप सबमिट बटन पर क्लिक करें। जैसे ही आप अपने फॉर्म को सबमिट करेंगे इस योजना की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
- एक बार रजिस्ट्रेशन हो गया इसके बाद आपको वापस होमपेज में आने के बाद खुद को इस वेबसाइट में लॉग इन करना होगा।
- कुसुम योजना के लिए लॉग इन करने के बाद आप सोलर पंपों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए कुसुम योजना का ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भर सकते हैं।
- इस तरह से किसान इस योजना के लाभार्थी बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं। और सोलर ऊर्जा वाले पंप प्राप्त कर सकते हैं।