उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति कुछ इस तरह की है कि यहां बड़े उद्योग धंदे स्थापित नहीं किये जा सकते हैं।इसीलिए यहाँ के लोगों का जनजीवन मुख्य रूप से खेती,जंगल और पशु पर ही आधारित है।और यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती ही है।लेकिन हाल के वर्षों में समय से बारिश का ना होना, उन्नत एवं अच्छी गुणवत्ता के बीजों का ना मिल पाना तथा आधुनिक तरीके के कृषि संबंधी उपकरणों को न खरीद पाने के कारण किसान इतनी फसल नही उगा पाते है कि उससे उनकी गुजर बसर हो सके।
इसी बजह से किसानों की आर्थिक हालत लगातार गिरती ही जा रही है।और किसान अपनी रोजी रोटी के चक्कर में अपनी खेती बाड़ी छोड़कर गांव से हर रोज पलायन कर रहे हैं।उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या बन गयी है।इसी समस्या का निदान करने के लिए,किसानों को गांवों में फिर से वापस लाने के लिए,उनको खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया है।
किसान पेंशन योजना का शुभारंभ :
- उत्तराखंड सरकार ने किसान पेंशन योजना का शुभारंभ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त 2014 को किया।उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने 5 जून 2014 को किसान पेंशन योजना को अपनी मंजूरी दी थी।
- उत्तराखंड सरकार ने किसानों की आर्थिक परेशानी और मौसम की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किसान पेंशन योजना की शुरुआत की है।केंद्र सरकार का लक्ष्य है 2022 तक हर किसान की आय को दुगना करना और यह उस दिशा में एक कदम भर है।
- उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई इस पेंशन योजना से उन किसानों को थोड़ा सा राहत तो जरूर मिलेगी जो खेती करना तो नहीं छोड़ना चाहते।लेकिन बीज,खाद,खेती करने के लिए जरूरी उपकरण न खरीद पाने के कारण खेती छोड़ कर अन्य रोजगार की तलाश करते हैं।
उत्तराखंड किसान पेंशन योजना के लाभ :
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की फसल ख़राब होने पर उनकी सहायता करना है।
- उम्मीदवार इसके द्वारा खाद्य पदार्थ भी खरीद सकते है।
- फसलों को कीटनाशक से बचाने के लिए खाद्य भी खरीद सकते है।
- इससे नयी किस्म के बीज आदि भी ले सकते है।
- इसके साथ ही पहाड़ों पर हो रहे पलायन को कम किया जा सकता है।
किसान पेंशन योजना के लिए पात्रता :
किसान पेंशन योजना उत्तराखंड के लिए सिर्फ वही किसान पात्र होगें जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक हो।और जिनके पास 2 हेक्टेयर(लगभग 4 एकड़) या इससे कम कृषि योग्य जमीन हो।उत्तराखंड के समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही इस योजना में उत्तराखंड के किसानों को 1000/-रूपये प्रतिमाह बतौर पेंशन दी जाती है।समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही अन्य पेंशन योजनाओं (वृद्धा,विधवा एवं विकलांग पेंशन)की तरह ही किसान पेंशन योजना भी दी जाएगी।
किसान पेंशन योजना के लिए आवश्यक शर्तों :
- इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को उत्तराखंड राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य है।
- दूसरे प्रदेश के निवासी इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते।भले ही व्यक्ति के पास 2 एकड़ से कम जमीन क्यों न हो और व्यक्ति खुद उसमें खेती क्यों ना करता हो।
- किसान की उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक हो।
- किसान के पास 2 हेक्टेयर(लगभग 4 एकड़) या इससे कम कृषि योग्य जमीन हो।
- ऐसे किसान जो स्वयं की भूमि में खेती करते हो।
- ऐसे किसान जो किसी अन्य स्रोत से कोई भी सरकारी पेंशन प्राप्त न कर रहे हो।
- किसानों को अपनी भूमि के संबंध में 10/- रूपये के स्टांप पेपर पर शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
- ऐसे किसान जो स्वयं की भूमि पर खेती कर रहे हैं जिस दिन से वह अपनी स्वयं की भूमि पर खेती करना बंद कर देंगे।उन्हें पेंशन योजना का लाभ मिलना भी बंद हो जाएगा।
- ऐसे किसान जो पेंशन मिलने के बाद खेती नहीं करेंगे।उनकी पेंशन भी तत्काल प्रभाव से सरकार द्वारा समाप्त कर दी जाएगी।
- ऐसे किसान जिनको किसी अन्य सरकारी योजना के तहत कोई भी पेंशन मिल रही हो वो किसान इस पेंशन के हकदार नहीं होंगे।
जरूरी दस्तावेज :
- आधार कार्ड।
- उत्तराखंड के मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र।
- बैंक अकाउंट का विवरण।
- जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज।
- किसान को जमीन के मालिकाना हक होने का शपथ पत्र दाखिल करना होगा।
- पासपोर्ट साइज की फोटोग्राफ।
बैंक में ट्रांसफर होगी पेंशन :
सरकार ने साफ कर दिया है कि इस योजना के तहत मिलने वाली पेंशन सीधे बैंकों में ट्रांसफर की जाएगी। जिन किसानों को इस योजना के तहत लाभाविंत किया जाएगा, उनके पास अपना बैंक खाता भी होना चाहिए। अगर किसी के पास बैंक खाता नहीं है तो नजदीकी बैंक में खाता खुलवा सकते हैं। जानकारों के मुताबिक सरकार की कोशिश है कि योजना में पारदर्शिता बरती जाए। किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत न मिले। लोगों के लिए आसानी भी रहेगी।
योजना के फायदे :
- उत्तराखंड सरकार की ओर से शुरू की गई किसान पेंशन योजना पूरी तरह से प्रदेश के गरीब किसानों के लिए शुरू की गई है।
- इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को पेंशन के रूप में हर महीने एक हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- योजना को शुरू करने का मकसद किसानों के पलायन को रोकना है। सरकार की कोशिश है कि किसान प्रदेश में ही खेती करें।
किसान पेंशन योजना में आवेदन करने के लिए :
किसान पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए दो तरह से आवेदन किए जा सकते हैं।
- किसान पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए व्यक्ति समाज कल्याण विभाग से संपर्क कर फॉर्म प्राप्त कर सकता है।
- किसान उत्तराखंड सरकार की ओर से शुरू की गई किसान पेंशन योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकता है।इसके लिए व्यक्ति को सरकार की अधिकारिक वेबसाइट http://socialwelfare.uk.gov.in में जा कर फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।
किसान पेंशन योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन :
- यदि कोई व्यक्ति इस पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना चाहता है तो उसे समाज कल्याण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट में जाकर फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।
- उत्तराखंड राज्य की समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन पत्र डाउनलोड करें। फिर आवेदन पत्र को सावधानीपूर्वक और विभाग द्वारा दिए गए सभी दिशा निर्देशों के अनुसार भर लें।फिर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी से हस्ताक्षर कर इस आवेदन पत्र को मुख्य कृषि अधिकारी के पास संपूर्ण दस्तावेजों सहित जमा कर दें।विभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई व जाँच के बाद पात्र किसानों की पेंशन शुरू कर दी जाती है।
- गरीब एवं निम्न तबके के किसानों के हित में शुरू की गई एक सरकारी योजना है।जिसका मकसद उत्तराखंड के पहाड़ों से किसानों के पलायन को रोकना है।क्योंकि कई बार किसान अपने आर्थिक हालातों की वजह से खेती करना छोड़कर शहरों की तरफ रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते हैं।
- इस योजना के तहत किसानों को पेंशन के रूप में जो हर महीने ₹1000 मिलेंगे।वो किसानों के फसल संबंधी वस्तुओं की खरीदारी में मदद करेगी।क्योंकि कई बार धन अभाव के कारण किसान अच्छी फसल के लिए उन्नत बीज नहीं खरीद पाते या खेतों से संबंधित उपकरणों या खाद की खरीदारी नहीं कर पाते हैं।जिससे उनकी फसलों को नुकसान होता है।और कई बार किसान अच्छी फसल उगाने के चक्कर में साहूकारों से ऋण ले लेते है।और अच्छी फसल ना होने के कारण कर्ज में डूबता चले जाते है।सरकार के इस कदम से उन्हें थोड़ी बहुत राहत तो जरूर मिलेगी।