प्रधानमंत्री आवास योजना या हाउसिंग फॉर आल योजना सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा चलाई जाने वाली योजना है इस योजना का उद्देश्य भारत में गरीबों व्यक्ति को अपना स्वयं का पक्का घर उपलब्ध कराना है। यह हमारी केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है, जिसे साल 2015 में लांच किया गया था और इसका आगामी उद्देश्य साल 2022 तक भारत में विभिन्न शहरी और ग्रामीण क्षेत्रोँ में लगभग 2 करोड़ से अधिक पक्के घर उपलब्ध करवाना है। इस योजना का पहला भाग पिछले वर्ष 2017 में खतम हो चूका है और इसका दूसरा भाग भी शुरू हो चूका है। प्रशासन द्वारा इस योजना को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिनके नाम क्रमशः प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधान मंत्री आवास योजना शहरी है।
योजना का नाम | प्रधानमंत्री आवास योजना |
किसके द्वारा | पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा |
लॉन्च की तारीक | 22 जून 2015 |
उद्देश्य | पक्का घर प्रदान करना |
लाभार्थी | देश के गरीब लोग |
ऑफिसियल वेबसाइट | https://pmaymis.gov.in/ |
मुख्य बिंदु :
- उद्देश्य : प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण वास्तव में इंदिरा आवास योजना का संशोधित रूप है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा लांच किया गया था। इस योजना का उद्देश्य भारत में ग्रामीण इलाकों में कच्चे और असुविधा युक्त घरो में रह रहें लोगों को तीन सालो 2016-2017 से 2018-2019 तक आधारभूत सुविधाओं से युक्त लगभग 1 करोड़ पक्के घर उपलब्ध कराना है।
- घरों का आकार : वर्तमान में इस योजना के तहत बनाए जाने वाले घरों का आकार 25 स्क्वेयर मीटर है, जिसे की पूर्व में निर्धारित घरों के आकार 20 स्क्वेयर मीटर से बढाकर निर्धारित किया गया है।
- दी जाने वाली राशि : इस योजना के तहत पहले मैदानी क्षेत्रोँ में 70,000 की राशि तय की गई थी जिसे वर्तमान में बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार कर दिया गया है। वही इस योजना के तहत पहाड़ी इलाकों, मुश्किल क्षेत्रों में और आईएपी जिलों में पहले यह राशि 75,000 थी जिसे अब बढ़ाकर 1 लाख 30 हजार कर दिया गया है।
- इस योजना में लगने वाला खर्चा केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा मिलकर किया जायेगा । मैदानी क्षेत्रोँ में इस शेयर की जाने वाली राशि का अनुपात 60:40 होगा वहीं उत्तर-पूर्व और हिमालय वाले तीन राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह अनुपात 90:10 होगा।
- इस योजना के तहत टॉयलेट के लिए 12000 रुपय की राशि का भुकतान स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और उस एरिया में चलने वाले अन्य किसी सोर्स की तरफ से किया जायेगा।
- इस योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान और उनका सिलेक्शन उनके पास घर की कमी, एसईसीसी-2011 डाटा के अनुसार सोशल स्तर और ग्राम सभा के द्वारा वेरीफाई करने पर किया जायेगा।
- इस योजना के तहत यदि लाभार्थी चाहे तो 70 हजार रुपय का लोन भी ले सकता है जो की उसे विभिन्न फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट से अप्लाई करके लेना होगा।
- लाभार्थी को संपूर्ण सुविधा जैसे टॉयलेट, पीने का पानी, बिजली, सफाई खाना बनाने के लिए धुआ रहित ईंधन, सोशल और तरल अपशिष्टो से निपटने के लिए इस योजना को अन्य योजनाओं से जोड़ा भी गया है।
- इस योजना के तहत दी जाने वाली संपूर्ण राशि का भुकतान लाभार्थी के बैंक एकाउंट में किया जायेगा। इसके लिए आवश्यक है की लाभार्थी का यह एकाउंट आधार कार्ड से लिंक हो।
इस योजना के तहत लाभार्थी का चयन :
इस योजना के तहत लाभार्थी के चुनाव में सत्यता और पारदर्शिता सरकार का मुख्य उद्देश्य है। इसके अंतर्गत इस बात का ध्यान रखा जायेगा की इस योजना के तहत लाभ केवल उन लोगों को मिले जिसे इसकी सच में जरुरत है। इस योजना में लाभार्थियों का चयन करने के लिए एसईसीसी SECC (सोशिओ इकोनोमिक कास्ट सेन्सस) का उपयोग किया जायेगा जिसका सत्यापन ग्राम सभा द्वारा किया जायेगा।
इस योजना के तहत चयन निम्न बिन्दुओं के आधार पर किया जायेगा :
- पात्र लाभार्थी : इस योजना के तहत संपूर्ण भारत में कोई भी व्यक्ति जिसके पास स्वयं का घर नहीं है या जो कि 1, 2 या अधिक कमरों के कच्चे घर में रहता हो या जिसके घर में छत नहीं हो वह इस योजना के तहत लाभ ले सकता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए यह आवश्यक नहीं है की लाभार्थी बीपीएल कार्ड होल्डर हो।
- इस योजना के तहत प्रथम प्राथमिकता केटेगरी के अनुसार दी जाएगी, मतलब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, माइनॉरिटीज और अन्य वर्ग के लोग इस योजना के तहत लाभ के प्रथम दावेदार होंगे।
- इन चयनित प्राथमिक लोगों में से भी उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कि एसईसीसी में डिफाइन कंपल्सरी इनक्लूसन के क्राइटेरिया को पूर्ण करते है। इस लिस्ट में दर्शाए सोसिओ इकनोमिक पैरामीटर SECC जिसके द्वारा प्राथमिकता दी जाएगी निम्न है।
- वह परिवार जिसमे कोई भी सदस्य एडल्ट मतलब 16 से 59 आयु वर्ष में मध्य ना हो वह इस योजना का प्रथम पात्र होगा।
- वह परिवार जिसका मुखिया एक महिला हो और उसमे कोई भी एडल्ट मतलब 16 से 59 आयु वर्ष का सदस्य ना हो वह परिवार इस योजना के लिए प्रथम प्राथमिकता होंगे।
- वह परिवार जिसका 25 वर्ष अधिक का कोई भी सदस्य पढ़ा लिखा ना हो वह परिवार इस योजना के लिए प्राथमिकता होंगे।
- वह परिवार जिसका कोई सदस्य दिव्यांग हो और जिसमे कोई एडल्ट ना हो वह इस योजना के लिए प्राथमिकता होंगे।
- वह परिवार जिनके पास स्वयं की कोई जमीन उपलब्ध ना हो और जिनकी इनकम का अधिकतम भाग मजदूरी से आता हो वह इसके लिए प्राथमिकता होंगे।
घर का कंस्ट्रक्शन :
- कंस्ट्रक्शन के लिए प्राप्त राशि : प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा जो भी व्यक्ति लाभ लेना चाहते है उन्हें अपने घर के कंस्ट्रक्शन के लिए सरकार की तरफ से पैसे दिए जायेंगे। यह सहायता मैदानी इलाकों में 1 लाख 20 हजार की होगी वहीं डिफिकल्ट एरिया, आईएपी यूनिट्स और हिमालय के राज्यों में यह सहायता राशि बडाकर 1 लाख 30 हजार की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य इन सभी एरिया में पक्का घर उपलब्ध करवाना है।
- पक्के घर से तात्पर्य : यहाँ पक्के घर से सरकार का तात्पर्य ऐसे मकानों से है जो आने वाले 30 सालों तक घर में रहने वालों की रक्षा विभिन्न मौसम और परिस्थियों से निपटने में कर पाये। इसके अलावा इस घर में आधारभूत सुविधाए जैसे बिजली, पानी और वाश एरिया आदि होना भी आवश्यक है।
- घर की बनवाई : इस योजना के तहत घर की बनवाई के लिए 90 से 95 दिन के लिए अनस्किल्ड लेबर मनरेगा की तरफ से दिये जाते है। अगर घर का मालिक चाहे और तो वह खुद भी अपने घर को बना सकता है और वह खुद अपने आप को मनरेगा के अंतर्गत 90 दिनों का वेतन पाने के लिए इनरोल करवा सकता है। अगर मालिक स्वयं इसे बनाने में सक्षम नहीं है तो उसे मनरेगा की तरफ से अनस्किल्ड मजदूर प्रदान किये जायेंगे। और यह बनवाई घर के लिए दिये जाने वाले 1 लाख 20 हजार में शामिल नहीं होगी।
- घर की बनवाई किसी कांट्रेक्टर के द्वारा नहीं की जाएगी : इस योजना के तहत यह नियम तय है की इसमे लाभार्थी को अपना घर स्वयं बनाना होगा । अगर इसमे किसी कांट्रेक्टर या एजेंट द्वारा कंस्ट्रक्शन पाया जाता है तो सरकार के पास इसे बिच में निरस्त करने का पुरा अधिकार होता है। यह घर किसी सरकारी विभाग या एजेंसी के द्वारा भी नहीं बनाया जा सकता इसमे केवल वही लोग भाग ले सकते है, जो की इस योजना के लिए ऑथोराइसड हो।
- स्वच्छ भारत अभियान : ग्रामीण क्षेत्रोँ में इन पक्के घरो में टॉयलेट को बनवाना जरुरी है, और अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए गाँवो में घरो के निर्माण के वक्त स्वच्छ भारत अभियान की तरफ से टॉयलेट निर्माण के लिए 12 हजार की राशि दी जाएगी।
- मकान का साइज़ : इस योजना के अनुसार बनाए जाने वाले घरों का साइज भी निश्चित है। सरकार द्वारा यह साइज़ 25 स्वेयर मीटर तय किया गया है जिसमे कुकिंग और हाइजीनिक एरिया भी शामिल है।
किये जाने वाले कार्यो और मजदूरों की मेपिंग :
इस योजना के तहत आपको घर बनाने के आर्डर मिलने से पहले बीडीओ या ब्लाक लेवल ऑफिसर जो की राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होते है वह लाभार्थी का प्रधानमंत्री आवास योजना पर अपडेट किये हुए फोटो का सत्यापन करते है। यह फोटो लाभार्थी द्वारा अपनी जगह के सामने जहाँ वह घर बनाना चाहता है वहाँ खड़े होकर लिया जाता है। अगर लाभार्थी पहले से बने हुए घर को पुनः ठीक करना चाहता है तो उसे यह बात भी एप के जरिये क्लियर करनी होगी।
अगर किसी परिस्थिति में लाभार्थी को जगह भी सरकार की तरफ से या अन्य किसी पब्लिक लैंड जैसे पंचायत की जमीन, कम्युनिटी की जगह या अन्य किसी लोकल अथॉरिटी के द्वारा प्रदान की जाती है, तो ऐसी जगह पर बिजली और पानी की सुविधा पहले से प्राप्त होना तय होता है। सरकार ने यह पहले ही सुनिश्चित किया है कि वर्तमान वेट लिस्ट के फाइनल होने के बाद ऐसे लोगों की जरुरत पर भी ध्यान दिया जायेगा जिनके पास स्वयं की जगह उपलब्ध नहीं है।
लाभार्थी की लिस्ट जारी करना :
- इस योजना के तहत अंतिम सूची एमआईएस-आवास सॉफ्टवेयर में रजिस्टर हुए आवेदको के नाम के आधार पर बनाई जाती है। इस योजना में रजिस्टर करते वक्त आवेदक को अपना नाम, बैंक एकाउंट डिटेल, आधार कार्ड नंबर और मनरेगा कार्ड नंबर रजिस्टर करना आवश्यक होता है। इसके अलावा आवेदक को अपना मोबाइल नंबर भी देना होता है।
- रजिस्ट्रेशन के बाद आवेदक की डिटेल और बैंक एकाउंट का वेलिडेशन किया जाता है। इसके बाद प्रत्येक लाभार्थी के लिए सेनसेशन लेटर व्यक्तिगत रूप से बनाया जाता है और प्रत्येक के लिए एक अलग प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण आईडी और क्विक रेस्पोंसे कोड जनरेट किया जाता है। इस योजना के तहत अलोटमेंट पति व पत्नी दोनों के सयुक्त नाम पर किया जाता है, परंतु अगर आवेदक कोई विधवा महिला, अविवाहित महिला या सेपरेट व्यक्ति हो तो यह जरुरी नहीं होता। इस स्थिति में स्टेट में केवल महिलाओं के नाम पर भी अलोटमेंट किये जातें है। अगर किसी स्थिति में यह आवेदन किसी दिव्यांग के नाम पर किया गया है तो यह अलोटमेंट भी केवल उस व्यक्ति के नाम पर ही किया जायेगा।
- लाभार्थी को उसके चयन की जानकारी उसके द्वारा दिये गए मोबाइल नंबर पर एसएमएस करके प्रदान की जाती है। लाभार्थी यह सेंसेशन आर्डर ब्लाक ऑफिस पर जाकर या अपनी प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण की आईडी का उपयोग करके इसकी ऑफिसियल वेबसाइट से भी निकाल सकता है।
- लाभार्थी को सेंसेशन लेटर मिलने के बाद 12 महीनों में उसके द्वारा घर का निर्माण करना आवश्यक है। अगर इस प्रक्रिया में किसी तरह की देरी होती है तो यह प्रोजेक्ट में कोम्प्लिकेशन उत्पन्न करता है।
लाभार्थी को पैसे प्राप्त होना :
- इस योजना के तहत लाभार्थी को उसका पहला इंस्ट्रूमेंट सेक्शन लेटर इशू होने के 7 दिन के अंदर मिल जाता है। यह इंस्टोलमेंट लाभार्थी को उसके बैंक एकाउंट में डायरेक्ट ट्रांसफर किया जाता है। इसके बाद सरकार द्वारा उस बैंक से यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह यह जानकारी एसएमएस के द्वारा लाभार्थी को उसके मोबाइल में पंहुचाएगी।
- फाइनेंसियल ईयर की शुरुआत में यह तय किया जाता है की लाभार्थी को कितने इन्स्टॉलमेंट में और कितने पैसे दिये जायेंगे। इसकी राशि कम से कम तीन इन्स्टॉलमेंट में दी जाती है और घर के कंस्ट्रक्शन की 6 स्टेज होती है।
- घर के लिए मंजूरी मिलना
- आधार
- नीव
- खिड़की दरवाजें
- छत
- पुरा घर बनकर तैयार
- घर के लिए पहली इंस्टालमेंट तो घर के लिए मंजूरी मिलते ही मिल जाती है परंतु दूसरी और तीसरी इंस्ट्रूमेंट के लिए घर के कंस्ट्रक्शन पर नजर रखी जाती है। और दूसरी इन्सटॉलमेंट फाउंडेशन और नीव के बनने के बाद मिलती है।
- इसके बाद तीसरी और अंतिम इन्सटॉलमेंट के लिए चौथी, पाँचवी या छट्वी में से किसी भी स्टेज की मैपिंग करके पैसा लाभार्थी के एकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है।
इस योजना के तहत मिलने वाली कुल राशि :
- इस योजना के तहत मैदानी क्षेत्रोँ में 1 लाख 20 हजार की राशि सरकार की तरफ से लाभार्थी को दी जाएगी, जो की एक सब्सिडी होगी।
- इसके अलावा इसमे स्वच्छ भारत मिशन की तरफ से 12 हजार रुपय टॉयलेट के निर्माण के लिए दिये जायेंगे।
- घर की बनाई के लिए 18 हजार रुपए की राशि मनरेगा की तरफ से मिलेगी। जो की लाभार्थी स्वयं भी 90 दिन मजदूरी करके प्राप्त कर सकता है।
- इन सबके अलावा अगर लाभार्थी चाहे तो एक्स्ट्रा पैसो के लिए 70 हजार का लोन बैंक से ले सकता है। इसके लिए विभिन्न बैंक और फाइनेंसियल संस्थाओं में यह सुविधा उपलब्ध है।
इस योजना के तहत प्राप्त कुल राशि “2,20,000” = 1,20,000(PMAY-G) + 18000(MGNAREGA) + SBM-G (12,000)+ Loan (70,000)
प्रधान मंत्री आवास योजना शहरी :
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य साल 2022 तक शहरोँ में रहने वाले गरीब व्यक्तियों और झोपड़पट्टी में रहने वालें व्यक्तियों को स्वयं का घर उपलब्ध करवाना है. सरकार अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए निम्न बिन्दुओ के तहत कार्य करेगी.
- झोपड़पट्टीवासियों का पुनर्वास करवाकर
- क्रेडिट लिंक सब्सिटी उपलब्ध करवाकर कमजोर वर्ग को आवास उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जायेगा
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रोँ में साझेदारी के साथ अफोर्डेबल हाउस उपलब्ध करवाकर
- लाभार्थी के घर के निर्माण के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाकर
लाभार्थी :
- इस योजना के अंतर्गत शहरी लाभार्थियों की श्रेणी में सर्वप्रथम झोपडपट्टीयों को शामिल किया गया है। किसी शहर का ऐसा हिस्सा जहाँ लगभग 300 व्यक्ति या 60-70 परिवार बिना बुनियादी सुविधा जैसे बिजली, वाश एरिया और गंदगी भरे माहोल में गलत तरीको से बने मकानों में अपना जीवन व्यतीत करतें है उसे झोपड़पट्टी का नाम दिया गया है। इस योजना के तहत सरकारी प्रयासों से इन घरो में रहने वाले लोगों को स्वयं का और बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र में लाभार्थियों की सूची में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, कम आय वाले समूह और माध्यम आय समूह शामिल है। वे परिवार जिनकी आय 3 लाख से कम है उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कि श्रेणी में, जिनकी आय 3 से 6 लाख के मध्य है उन्हें कम आय वाले समूह में और जिनकी आय 6 से 18 के मध्य है उन्हें माध्यम आय वर्ग में रखा गया है। इनमें से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग इस योजना का संपूर्ण लाभ ले सकतें है वहीं एल आई जी और एम आई जी वर्ग केवल क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम का लाभ लेने के पात्र होंगे।
- इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और एलआईजी और एमआईजी कि पहचान करने के लिए व्यक्ति को सेल्फ सर्टिफिकेट या एफिडेविट अपनी लोन एप्लीकेशन के साथ जमा करना होगा।
- एक लाभार्थी के संपूर्ण परिवार में पति, पत्नी अविवाहित बेटे और बेटियां शामिल होंगी। इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए यह आवश्यक है कि लाभार्थी के परिवार में लाभार्थी या अन्य किसी के भी नाम भारत में कही पर भी कोई पक्का घर रजिस्टर्ड ना हो।
योजना के विभिन्न फेज :
- फेज I में अप्रैल 2015 से मार्च 2017 तक इस योजना के अंतर्गत चयनित राज्यों के 100 शहरो में कार्य किया गया।
- इसके बाद इस योजना का फेज 2 अप्रैल 2017 से शुरू होकर मार्च 2019 तक चलेगा। इसमें भारत के अन्य 200 शहरोँ को भी शामिल किया जायेगा। और वहाँ के लाभार्थियों का चयन कर उन्हें लाभ दिलाये जायेंगे।
- इस योजना का तृतीय फेज अप्रैल 2019 से चालू होकर मार्च 2022 तक चलेगा जिसमें अन्य बचे हुए शहरों को भी कवर कर संपूर्ण भारत में सबके पास स्वयं का आवास उपलब्ध करवाने की कोशिश की जाएगी।
योजना के विभिन्न भाग :
इस योजना के अंतर्गत शहरोँ में तीन तरीको से अलग अलग इनकम ग्रुप वाले लोगों को अपना स्वयं का घर उपलब्ध करवाने कि कोशिश कि जा रही है। इस अलग अलग इनकम ग्रुप के आधार पर विभिन्न भागों में विभाजित लोगों को मिलने वाली सुविधाए भी निम्न होगी। निचे पॉइंट्स में इन लोगों को मिलने वाली सुविधा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
1.“इन-सीटू” स्लम रिडेवलपमेंट : यहाँ इन-सीटू से तात्पर्य मुख्य वास्तविक स्थान से है। और यह इन-सीटू स्लम रिडेवलपमेंट प्रधानमंत्री आवास योजना का एक महत्वपूर्ण भाग है। भारत के शहरी क्षेत्रोँ में झोपड़पट्टीयों में रहने वालें लोगों को सभी जरुरी सुविधाए उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से यह योजना का शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत झोपड़पट्टीयों कि जगह को उपयोग करकें और प्राइवेट संस्थानों कि भागीदारी के साथ इन झोपड़पट्टीयों का पुनर्विकास किया जायेगा और इसे आधारभूत सुविधा से युक्त रहने लायक स्थान में परिवर्तित किया जायेगा। इस तरह से जिस जगह पर झोपड़पट्टीयां बनाई गई है उसका उपयोग कर सेनेटरी सुविधा से युक्त, सुलभ और बेहतर घर बनाकर लोगों को उपलब्ध कराये जायेंगे। सरकारी या निजी जमीन पर उपलब्ध झोपडपट्टीयों को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया जायेगा और इस योजना में शामिल निजी भागीदारो को विभिन्न राज्यों में खुली बोली लगाकर चुना जायेगा।
इस योजना के तहत लाभार्थियों का योगदान केंद्र सरकार के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा तय किया जायेगा। इसमें कटऑफ की पात्रता भी राज्य सरकार द्वारा तय की जाएगी। और केंद्र शासित प्रदेशो में यह अधिकार वहा कि सरकार के पास होंगे। यह योजना संबंधित स्थानों से झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों से परामर्श के बाद और उनके सहयोग से प्रारंभ की जाएगी।
“इन सीटू स्लम” के मुख्य बिंदु और लाभ :
- इस योजना को और अधिक आसान बनाने के लिए राज्य सरकारे या केंद्र शासित प्रदेशो में सरकार के द्वारा इसमें एडिशनल फ्लोर एरिया रेश्यो, फ्लोर स्पेस इंडेक्स और हस्तांतरणीय विकास अधिकार प्रदान किये जाते है।
- राज्य में मौजूद सरकार द्वारा झोपड़पट्टी से पुनर्निवास के लीये प्रत्येक घर को 1 लाख रूपए तक का अनुदान दिया जा सकता है। यह राशी उन सभी लाभार्थियों को मिलेगी जो इस योजना के अंतर्गत योग्य होंगे। यह 1 लाख रूपए एक औसत राशी से अंतिम निर्णय राज्य में मौजूद सरकार द्वारा लिया जायेगा।
- इन बन रहें घरो का लाभार्थियों को पूर्णत स्वामित्व दिया जायेगा या यह घर लीज पर दिए जायेंगे यह अधिकार भी पूर्ण रूप से राज्य सरकार के पास होगा।
- इस योजना के तहत बने घरो में दो घटक होंगे: झोपड़ी पुनर्निवास घटक और मुफ्त बिक्री घटक। झोपड़ी पुनर्निवास घटक में बुनियादी सुविधाओं के साथ एक घर मिलेगा, और मुफ्त बिक्री घटक में स्लम डेवलपर्स ओपन मार्केट में घरो को बेचने में सक्षम होंगे।
- जब तक झोपड़पट्टी के एरिया में विकास का कार्य चलेगा तब प्राइवेट डेवेलपेर्स झोपड़पट्टी में रहने वाले व्यक्तियों को अल्पकालिक आवास कि व्यवस्था करके देंगे।
मुख्य बिंदु और लाभ :
- इस योजना के अंतर्गत ईडब्ल्यूएस और एलआईजी वर्ग के लोगों के लिए घर उपलब्ध करवाने के लिए इन्हें विभिन्न बैंकों और अन्य फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट के द्वारा 6.5 प्रतिशत की दर से 20 सालो कि समय अवधी के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा। ताकि उन्हें अपना स्वयं का घर बनवाने में दिक्कत ना हो।
- इस योजना के तहत लाभार्थी को यह सब्सिडी 6 लाख के लोन अमाउंट पर ही दी जाएगी इसके अतिरिक्त यदि लाभार्थी अन्य लोन लेता है तो वह उसे वर्तमान में मौजूद ब्याज दरो पर ही अदा करना होगा।
- इस योजना के अंतर्गत पहले लाभार्थी को लोन का पूरा इएमआई ऋण खाते के माध्यम से बैंक या फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट में जमा करना होगा उसके पश्चात् उस विभाग द्वारा मासिक किश्त का अमाउंट काटकर सब्सिडी कि राशि वापस लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
- केंद्र के नियम के आधार पर यह आवास घर के महिला मुखिया सदस्य या घर में पति व् पत्नि के संयुक्त नाम पर होगा। केवल घर में बालिग महिला कि अनुपस्थिति में ही यह घर घर के पुरुष सदस्य के नाम पर हो सकता है।
- इस योजना के तहत बन्ने वालें घरो में कमरों के अतिरिक्त रसोई शौचालय और बिजली पानी कि आधारभूत सुविधा होना अनिवार्य है।
- इडब्ल्यूएस ग्रुप के अंतर्गत लाभ लेने वाले व्यक्तियों कि वार्षिक आय 3 लाख तक होना चाहिए तभी वे इस योजना के पात्र होंगे। और एलआईजी के अंतर्गत लाभ लेने वाले व्यक्तियों के वार्षिक आय 3 से 6 लाख तक होना चाहिए तभी वे इसके पात्र होंगे।
- इस योजना के तहत इडब्ल्यूएस ग्रुप में बनने वाले घरो का एरिया 30 स्क्वायर मीटर होना चाहिए और इसी तरह एलआईजी ग्रुप के अंतर्गत बनने वाले मकानों के लिए एरिया 60 स्क्वायर मीटर होना चाहिए। अगर लाभार्थी चाहे तो इससे बड़े एरिया पर भी अपना घर बनवा सकता है परन्तु यूज़ सब्सिडी केवल 6 लाख के लोन अमाउंट पर ही मिलेगी।
इस योजना और इसमें मिलने वाले इंटरेस्ट और सब्सिडी का संपूर्ण वर्णन निचे टेबल के माध्यम से किया गया है जिससे आपको इसे समझने में आसानी होगी:
क्रमांक | ग्रुप | हाउस होल्ड कि वार्षिक आय होना चाहिए | लोन अमाउंट जो सब्सिडी के लिए मान्य होगा | इंटरेस्ट सब्सिडी | इनिशियल किश्त | सब्सिडी मिलने के बाद किश्त | मासिक बचत | वार्षिक बचत |
1 | इडब्ल्यूएस | 0 से 3 लाख के मध्य | 3,00,000 | 1,33,640 | 2895 | 1,605 | 1290 | 15,480 |
2 | एलआईजी | 3 से 6 लाख के मध्य | 6,00,000 | 2,67,280 | 5790 | 3,211 | 2579 | 30,948 |
मध्यम आय वर्ग (MIG) के लोगों के लिए क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम :
मध्यम आय वर्ग (MIG) में वे लोग शामिल है जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 6 लाख से 18 लाख के मध्य हो। इन मध्यम आय वर्ग के लोगों को भी उनकी आय के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया गया है, पहला वर्ग जिसे एमआईजी-I कहा गया है उसमे 6 लाख से 12 लाख तक के वार्षिक आय वालें लोग शामिल है, वहीं दूसरा वर्ग जिसे एमआईजी-II कहा गया है उसमें 12 लाख से 18 लाख तक के वार्षिक आय वालें लोग शामिल होंगे। अभी हाल ही में सरकार के द्वारा इस आय वर्ग के लोगों के लिए घरो के कारपेट एरिया में कुछ बदलाव किये गए है, इसका संपूर्ण वर्णन निचे पॉइंट्स में किया गया है।
मुख्य बिंदु और लाभ :
- अभी हाल में सरकारी विभागों द्वारा की गई घोषणा के अनुसार इस योजना के अंतर्गत एमआईजी-I के लिए कारपेट एरिया का साइज़ 120 स्क्वायर मीटर से से बढ़ाकर 160 स्क्वायर मीटर कर दिया गया है वहीं एमआईजी-II के लिए कारपेट एरिया का साइज़ 150 स्क्वायर मीटर से बढाकर 200 स्क्वायर मीटर कर दिया गया है।
- इस योजना के तहत एमआईजी-I के अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों को 9 लाख तक की राशि लोन अमाउंट के रूप में 4 प्रतिशत इंटरेस्ट सब्सिडी पर 20 साल कि समयावधि के लिए दी जा सकतीं है। वहीं एमआईजी-II के अंतर्गत आने वाले लोगों को 12 लाख तक की राशि 3 प्रतिशत इंटरेस्ट सब्सिडी पर 20 साल तक के लिए उपलब्ध होगी।
- इस प्रकार एमआईजी-I को इस योजना के तहत मिलने वाली कुल सब्सिडी 2,35,068 होगी वहीं एमआईजी-II के लिए यह सब्सिडी की राशि 2,30,156 होगी।
- इस योजना के अंतर्गत पहले लाभार्थी को लोन का पूरा ईएमआई ऋण खाते के माध्यम से बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट में जमा करना होगा उसके पश्चात् उस विभाग द्वारा मासिक किश्त का अमाउंट काटकर सब्सिडी कि राशि वापस लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
- केंद्र के नियम के आधार पर यह आवास घर के महिला मुखिया सदस्य या घर में पति व् पत्नि के संयुक्त नाम पर होगा। केवल घर में बालिग महिला कि अनुपस्थिति में ही यह घर घर के पुरुष सदस्य के नाम पर हो सकता है।
एमआईजी-I और एमआईजी-II को मिलने वाली सुविधाओं का संक्षिप्त वर्णन :
परिवार की वार्षिक आय | इंटरेस्ट सब्सिडी | ऋण कि अवधी | उपलब्ध लोन का अमाउंट | कारपेट एरिया | वर्तमान इंटरेस्ट | सब्सिडी | |
एमआईजी-I | 6,00,001 से 12,00,000के मध्य | 4% | 20 वर्ष | 9,00,000 | 160 sq. m. | 9% | 2,35,068/- |
एमआईजी-II | 12,00,001 से 18,00,000 के मध्य | 3% | 20 वर्ष | 12,00,000 | 200 sq. m. | 9% | 2,30,156/- |
अभी हाल ही में हुए अपडेट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने किफायती घरों को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट सेक्टर ऋण (पीएसएल) के तहत होम लोन की सीमाएं बढ़ा दी हैं। अब 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरोँ में लोग 35 लाख तक का होम लोन प्राप्त कर पाएंगे, और 10 लाख से कम आबादी वाले क्षेत्रोँ में लोग 25 लाख तक का लोन लेने के पात्र होंगे। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया गया यह संशोधन प्रधान मंत्री आवास योजना को गति देगा।
3.पार्टनरशिप में अफोर्डेबल हाउस
प्रधानमंत्री आवास योजना का तीसरा भाग पार्टनरशिप के द्वारा अफोर्डेबल हाउस उपलब्ध करवाना है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य इडब्ल्यूएस हाउसेस जो कि विभिन्न राज्यों, शहरोँ के साथ पार्टनरशिप में बन रहें है उन्हें फाइनेंसियल सब्सिडी उपलब्ध करवाना है। इस अफोर्डेबल हाउस प्रोजेक्ट में बनने वाले घरो में से लगभग 35 प्रतिशत घर इडब्ल्यूएस वर्ग के लिए बनाये जा रहें है। और इसमें लाभार्थी को लगभग 1।5 लाख तक का फाइनेंसियल असिस्टेंस मिलेगा।
प्रधान मंत्री आवास योजना के लिए उपलब्ध टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर :
अगर आपके मन में इस योजना के संबंध में कुछ सवाल है या आप इससे जुड़े कुछ सवालों का जवाब चाहतें है तो सरकार ने कुछ टोल-फ्री नंबर भी उपलब्ध कराएं है।ये नंबर इस प्रकार है :
- एनएचबी : 1800-11-3377, 1800-11-3388
- एचयूडीसीओ : 1800-11-6163