प्रधानमंत्री नई मंज़िल योजना : Pradhan Mantri Nai Manzil Yojana

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केंद्र सरकार की नई मंजिल योजना वास्तव में उन युवाओं के लिए है जिन्होंने किसी वजह से दसवीं की परीक्षा पास नहीं की है। युवा इस योजना की मदद से पढ़ाई पूरी कर अपने सपने को साकार कर सकते हैं। इस योजना की शुरुआत 8 अगस्त 2015 को की गयी थी। नई मंजिल योजना के तहत ट्रेनिंग से प्राप्त प्रमाण पत्र की मान्यता सभी शिक्षण संस्थानों में मान्य होगी तथा छात्र अपनी रुचि के अनुसार देश के किसी भी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर अपने आगे की पढ़ाई पूरी कर सकेगा।

देश में अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखने वाले ऐसे छात्र, जिन्होंने अपनी शिक्षा बीच में छोड़ दी है, उनकी सहायता के लिए एवं उन्हें बेहतर तथा स्थायी नौकरी प्रदान करने के लिए भारत की केंद्रीय सरकार ने एक कल्याण प्रणाली की शुरुआत की है, जिसका नाजिसमें अल्पसंख्यक छात्रों द्वारा प्राथमिक स्तर की पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा उनकी राष्ट्रीय आबादी का 2% और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा उनकी राष्ट्रीय आबादी का 3% है।अल्पसंख्यकों की आबादी के मुकाबले उनकी कार्यदल की भागीदारी का औसत भी बहुत कम है। वर्ष 2013 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार अल्पसंख्यकों में मुस्लिम आबादी में प्राथमिक स्तर पर हीं पढ़ाई छोड़ने का दर सबसे ज्यादा है । सच्चर समिति के रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यक मुसलामनों में प्राथमिक स्तर की पढ़ाई पूरी न कर पाने के कारण सबसे ज्यादा गरीबी तथा कार्य कौशल की कमी है।

योजना का नाम नई मंज़िल योजना
योजना की शुरुआत 8 अगस्त 2015
योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
योजना का आयोजन मुख़्तार अब्बास नक़वी
विभाग अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
अधिकारिक वेबसाइट http://www.minorityaffairs.gov.in/

क्या है नई मंजिल योजना का उद्देश्य :

केंद्र सरकार द्वारा नई मंजिल योजना शुरू करने का उद्देश्य देश में अल्पसंख्यक समुदाय की प्रगति और उनका सशक्तिकरण है। सरकार ने यह पाया है कि पारिवारिक कारणों की वजह से मुस्लिम युवाओं में पढ़ाई बीच में छोड़ देने की दर बहुत अधिक है। नई मंजिल योजना से अल्पसंख्यक समुदाय खास तौर से सलमान युवाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। साथ ही उनके जीविकोपार्जन के लिए जरूरी शैक्षिक आवश्यकता पूरी करने में मदद मिलेगी। नई मंजिल योजना की मदद से प्रशिक्षण पाने वाले कम से कम 70 % युवाओं को नौकरी दिलाना भी इसका उद्देश्य है ताकि वे जीवनयापन योग्य न्यूनतम मजदूरी प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजना (कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) , पीएफ आदि) का लाभ उपलब्ध कराना योजना के उद्देश्यों में शामिल है।

कौन ले सकता है नई मंजिल योजना में भाग? :

नई मंजिल योजना में 17 से 35 साल के लोगों के अलावा मदरसे में पढ़ने वाले छात्र भी शामिल हो सकते हैं। शुरुआत में सरकार ने नई मंजिल योजना के लिए 650 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। एक अनुमान के मुताबिक इसका लाभ एक लाख अल्पसंख्यक युवाओं तक पहुंच चुका है।

योजना की विशेषताएँ :

  • शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण : इस योजना के तहत, अल्पसंख्यक समूह से संबंध रखने वाले स्कूली छात्र जिन्होंने शिक्षा बीच में छोड़ दी है, विभाग न सिर्फ उन्हें शैक्षणिक योग्यता देने में सहायता करेगा, बल्कि उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करायेगा जिससे उन्हें भविष्य में मदद मिल सकेगी।
  • वास्तविक प्रोज़ेक्ट का कार्यकाल : केन्द्रीय सरकार की घोषणा के अनुसार, इस प्रोज़ेक्ट के लिए कुल अवधि 5 वर्ष तय की गई है। इस दौरान, इस योजना से संबन्धित सभी कार्यों को अच्छी तरह से दिए हुए परिभाषित चरणों में किया जायेगा।
  • प्लेसमेंट उपलब्ध कराना : पहले सभी प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को अकेडमिक एवं व्यावसायिक दोनों स्तर पर प्रशिक्षित किया जायेगा। विभाग उन्हें उपयुक्त प्लेसमेंट प्रदान करने में मदद करेगा, जोकि उनके लिए लाभकारी साबित होगा। इस पहल से लगभग 70 प्रतिशत प्रशिक्षित छात्रों को नौकरी देने का अनुमान लगाया गया है।
  • अनुमानित उम्मीदवारों की संख्या : इस योजना के कार्यान्वयन के साथ, सरकार की 1 लाख अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की अकेडमिक एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने की उम्मीद है।
  • प्रशिक्षण की अवधि : यह योजना 9 से 12 माह तक जारी रहेगी। इस दौरान कौशल प्रशिक्षण अवधि भी शामिल होगी, किन्तु कौशल प्रशिक्षण की अवधि 3 माह से ज्यादा नहीं होगी।
  • पाठ्यक्रम पुल : दूरस्थ (distance) शिक्षा प्रणाली के माध्यम से 8 वीं एवं 10 वीं कक्षा के स्तर की शिक्षा छात्रों को प्रदान की जाएगी। इस स्थिति से निपटने के लिए पुल शिक्षा प्रणाली का विकास एवं कार्यन्वयन किया जायेगा।
  • पायलट प्रोजेक्ट : इस समय, यह योजना देश के कुछ हिस्सों में पायलट आधार पर कार्यान्वित की गई है। सरकार ट्रेल आधारित कार्यान्वयन से होने वाले फायदे एवं गलतियों के बारे में और जानना चाहती है।
  • प्रशिक्षण लेने वालों के लिए वेतन : इस योजना में भाग लेने के लिए अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देने के लिए, केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रशिक्षण के दौरान एवं प्रशिक्षण की समाप्ति के बाद प्रत्येक व्यक्ति को मासिक आधार पर मौद्रिक अनुदान दिया जायेगा।
  • संवेदनशीलता एवं जागरूकता : इस योजना का एक अन्य दिलचस्प हिस्सा यह है कि इस योजना में युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए और उनके बेहतर जीवन एवं उन्हें कौशल प्रशिक्षण प्रदान कराने के लिए सरकार के प्रयासों को शामिल किया जायेगा।
  • कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसीयां : केन्द्रीय सरकार द्वारा उन एनजीओ और एजेंसीयों को आमंत्रण दिया जायेगा, जो इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं। वे सभी कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसीयां होगी। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा फाइनेंसियल मदत भी की जाएगी।

योजना का पात्रता मापदंड :

  • अल्पसंख्यक समुदाय का होना चाहिए : यह एक स्थापित तथ्य है कि इस योजना में सिर्फ वे उम्मीदवार शामिल होंगे, जो किसी भी अल्पसंख्यक समूह से सम्बन्ध रखते हों। इस योजना में अल्पसंख्यक वर्चस्व वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी नामांकित किया जायेगा, किन्तु उनकी कुल सीट 5% से ज्यादा नहीं होगी।
  • विशिष्ट आयु का होना चाहिए : यह एक आयु सम्बंधित मापदंड है जिसे उम्मीदवार को पूरा करना होगा। उनकी आयु 17 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • आय संबंधित मापदंड : यह योजना गरीब स्तर के अल्पसंख्यक युवाओं को ऊपर उठाने में मदद करेगी। अतः रूचि रखने वाले सभी उम्मीदवारों के पास BPL (गरीबी रेखा से नीचे) का प्रमाण पत्र होना आवश्यक है।
  • योग्यता सम्बंधित मापदंड : यह उल्लेखित किया गया है कि 8 वीं कक्षा के ब्रिज कोर्स के लिए नामांकन करने वाले उम्मीदवारों के पास 5 वीं कक्षा में उपस्थित होने का अकेडमिक प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसी तरह 10 वीं कक्षा के ब्रिज कोर्स के लिए 8 वीं कक्षा का अकेडमिक प्रमाण पत्र होना चाहिए।
  • सीट से संबंधित आरक्षण : दिशानिर्देशों के अनुसार, इस प्रोज़ेक्ट में 15% गरीब जोकि अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं हैं वे भी शामिल हो सकेंगे। कुल सीट का 5% अपंग लोगों के लिए आरक्षित किया जायेगा, जबकि 15% सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगी।
  • एजेंसीयों के लिए मापदंड : वे सभी एनजीओ और पीआईए, जो छात्रों को अकेडमिक एवं कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए इच्छुक हैं, उन्हें इस योजना के तहत पंजीकृत करना चाहिए। उन्हें योजना द्वारा निर्धारित अन्य सभी मापदंडों को भी पूरा करने की आवश्यकता है।

योजना के तहत प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट :

  • कौशल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण : इस योजना में केवल वे एजेंसीज भाग लेने में सक्षम होंगी, जो खुद को यह दिखाते हुए योग्य साबित करेंगी कि उनके पास सकारात्मक ट्रैक रिकॉर्ड है। उन्हें ऐसे विशेषज्ञ होने की जरुरत है जो लाभकारी प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
  • उम्मीदवारों का चयन : एक बार रुचिकर आवेदकों द्वारा आवेदन कर देने के बाद चयन प्रक्रिया शुरू होगी। योग्य उम्मीदवारों को कोर्स का हिस्सा बनने के लिए चुना जायेगा।
  • प्लेसमेंट के अवसर : सफलतापूर्वक कोर्स पूरा हो जाने के बाद, सभी एनजीओ’स एवं पीआईए’स द्वारा सभी प्रशिक्षित उम्मीदवारों में से कम से कम 70 % लोगों को 3 महीने की अवधि के अंदर प्लेस किया जाना चाहिए।
  • एमएसडीई मापदंडों का पालन होना चाहिए : इस योजना के तहत, यह सुनिश्चित किया गया है कि योजना के पाठ्यक्रम से सम्बंधित सभी गतिविधियां एमएसडीई के नियमों एवं मापदंडों के अनुसार होनी चाहिए। यह भी बताया गया है कि उम्मीदवारों को उनकी क्षमता के अनुसार प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • एनएसक्यूएफ मापदंड : प्रशिक्षण मॉडयूल एवं पाठ्यक्रम की तैयारी एमईएस या क्यूपी-एनआईओएस में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार की जाएगी। यह एनएसक्यूएफ मापदंडों के अंदर शेष एजेंसीयों की सहायता करेगी।
  • स्थानीय स्तर पर इंडस्ट्रीज के साथ संचार विकसित करना : प्रशिक्षण पूरा होने के बाद व्यक्तिगत रूप से नौकरियां प्रदान करने की जिम्मेदारी पीआईए की है। इसके लिए, उन्हें रोजगार की सम्भावनाओं को ज्यादा करने के लिए सभी स्थानीय स्तर पर आधारित इंडस्ट्रीज के साथ संपर्क में रहने की जरुरत है।
  • प्लेस्ड उम्मीदवारों की गतिविधियों को ट्रैक करना : पीआईए की जिम्मेदारी न सिर्फ उम्मीदवारों को नौकरियां एवं पोस्ट-प्लेसमेंट मौद्रिक अनुदान प्रदान करना है, बल्कि उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को ट्रैक करना भी है। यदि कोई उम्मीदवार अपनी नौकरी खो देता है तो पीआईए को उन्हें दूसरी नौकरी देनी होगी।
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