अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना बिहार, राज्य सरकार की एक प्रोत्साहन योजना है। इस योजना के अंतर्गत अंतर जाति विवाह करने वाले युवक/ या युवती को राज्य सरकार द्वारा 3.5 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इस योजना में वही युवक/ युवती पात्र होंगे जो अपनी जाति से निचली जाति में विवाह करेंगे। इसके लिए सरकार द्वारा कुछ पात्रता एवं नियम बनाए गए हैं, उसके अनुरूप ही इस योजना का लाभ मिलेगा। अगर कोई भी लड़का जो कि किसी उच्च जाति का है, अगर वह किसी निम्न जाति/ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ पिछड़ा वर्ग/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग इनमें से किसी श्रेणी की युवती से शादी करता है, तो उसे इस योजना का लाभ मिलेगा। इसी तरह अगर कोई उच्च श्रेणी/ जाति की लड़की इसी निम्न श्रेणी के लड़के के साथ शादी करती है तब भी उस जोड़े को इस योजना का लाभ मिलेगा।
भारत में समाज द्वारा, कुछ जातियां एवं नियम बनाए गए हैं। हर श्रेणी/जाति के लोग अपनी ही जाति में विवाह करते हैं। कई बार लड़का लड़की अपनी पसंद से भी किसी अन्य श्रेणी में शादी कर लेते हैं, जिसे कि उनके घर वाले मंजूर नहीं करते। इसके साथ ही समाज में भी उन्हें कोई जगह नहीं दी जाती। इसी धारणा को बदलने के लिए राज्य सरकार की अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना बिहार 2019 शुरू की गई है।
बिहार अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना :
मुख्य रूप से अंतर जाति विवाह का मतलब ही अपनी जाति से किसी अन्य जाति में शादी करना है। हमारे समाज में यह धारणा बनी हुई है कि अगर कोई लड़का अथवा लड़की स्वर्ण जातियों में से है, तो वह अपनी ही जाति में शादी करेगा। जैसे कि ब्राह्मण ब्राह्मण के घर में शादी करेगा एवं राजपूत राजपूत के घर में ही शादी करेगा। हालांकि यह प्रथा अन्य जातियों में भी है जहां पर अनुसूचित जाति के लोग केवल अपनी श्रेणी में ही लड़का या लड़की को ढूंढते हैं और वहीं पर शादी करते हैं। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति होती है कि कोई लड़का किसी अन्य जाति की लड़की को पसंद करता है तथा लड़की भी उसे पसंद करती है।
ऐसी स्थिति में वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं। लेकिन समाज एवं मां बाप के डर से वह एक दूसरे से शादी नहीं कर पाते। इसी डर एवं भय को खत्म करने के लिए बिहार अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना को शुरू किया गया है। जिसमें लाभार्थी जोड़े को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
बिहार इंटर कास्ट मैरिज स्कीम :
बिहार भारत के ऐसे राज्यों में से है जहां पर अभी भी परंपरा एवं जातिवाद बहुत अधिक है। जहां पर लोग अपनी जाति एवं कुल से बहुत अधिक जुड़े होते हैं तथा उनकी सोच वही तक सीमित रहती है। हालांकि यह कोई गलत बात नहीं है कि वह अपने बिरादरी/ जाति से जुड़े रहे। लेकिन अगर उनके बच्चे आगे चलकर अन्य श्रेणियों में शादी करते हैं तो वह इस चीज को पसंद नहीं करते। कई मामलों में तो यहां तक देखा गया है कि यह ऑनर किलिंग तक मामला चला जाता है।
इसी प्रथा को समाज से खत्म करने के लिए इस तरह की योजना सरकार द्वारा शुरू की जाती हैं। अगर लड़का एवं लड़की अलग-अलग जाति धर्म से है, तब समाज उन्हें स्वीकार नहीं करता। यहां तक कि कई बार ऐसा देखा गया है कि मां-बाप भी ऐसे जोड़ों को स्वीकार नहीं करते। ऐसी स्थिति में इस तरह के शादीशुदा लोगों को अपना जीवन निर्वाह करने में बहुत अधिक परेशानी होती है। लेकिन सरकार की राय इस बारे में अलग है। सरकार यह चाहती है कि लोग अंतरजातीय विवाह करें जिससे कि सामाजिक सद्भावना बड़े।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के उद्देश्य :
अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना का प्रमुख उद्देश्य स्त्रियों को सबल बनाना है । समाज में जाति प्रथा का उन्मूलन तथा यौतक प्रथा को हतोत्साहित करने तथा मानवता में छुआछूत की भावना अंत करने के उद्देश्य से बिहार प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना आरम्भ किया था । अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत महिला को प्रोत्साहित करना है।
बिहार प्रदेश में अंतरजाति विवाह करने वाली महिला को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने के लिए विवाह संपन्न होने के तीन माह के भीतर संबंधित वधू के नाम अधिकतम लाभ देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंक में संचित / प्रस्तुत प्रमाणपत्र के माध्यम से ₹ एक लाख का संदाय किया जाता है । इस धनराशि को तीन वर्ष के बाद ही निकला जा सकता है ।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन व्यवस्था के विशिष्ट केंद्रबिंदु :
- अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत वहीं युवक व युवती दोनों में से किसी एक के अनुसूचित जाति अथवा या अनुसूचित जनजाति होने की स्थिति में डॉ. भीमराव अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटरीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज के तहत 2.50 लाख दिये जाएंगे। यह प्रोत्साहन राशि हर आय वर्ग के युगल को मिलेगा। हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत शादी करने वाले युगल को यह राशि एक साल के अंदर आवेदन करने पर मिलेगा। बिहार के मामले में लड़का जिस जिले का निवासी है, वहां आवेदन करना होगा। लड़का के बिहार से बाहर के होने पर लड़की के जिले में आवेदन करना होगा।
- अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना हेतु सामाजिक सुरक्षा विभाग बना नोडल एजेंसी है । पूर्व समय में समाज कल्याण विभाग अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन करता था। जिसे बाल संरक्षण इकाई में समाहित किया गया। लेकिन अब इसे सामाजिक सुरक्षा विभाग संचालित करने का निर्णय लिया गया है।
- अंतरजाति विवाह के माध्यम से सामाजिक एकता के लिए योजना के अनुसार नवविवाहित युगल में किसी एक को एक व्यक्ति को अनुसूचित जाति का होना चाहिए और अन्य हिंदू उच्च जाति होना चाहिए।
- अंतरजाति विवाह प्रोत्साहन व्यवस्था के अंतर्गत इंटर-कास्ट मैरिज को प्रोत्साहन देने के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने ₹ 5.00 लाख वार्षिक आय की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया है । केंद्र सरकार के इस निर्णय से अंतर्जातीय विवाह करने वाले सभी आय वर्ग के लोगों को डॉ. अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज’ योजना का लाभ मिल सकेगा।
- अंतरजाति विवाह के माध्यम से सामाजिक एकता के लिए योजना में संसोधन के पश्चात इस योजना के अंतर्गत विवाह करने वाले युगल को इस योजना का लाभ पहले ₹ 5.00 लाख से कम वार्षिक आय वाले जोड़े को ही मिलता था।
- अंतरजाति विवाह करनेवाली महिलाओं को आर्थिक दृष्टिकोण से सबल बनाने के लिए अंतरजाति विवाह योजना का कार्यान्वयन किया गया है । इसमें नवविवाहित दंपती में से किसी एक का बिहार का निवासी होना आवश्यक है। कोई भी ऐसी महिला, जिसने दूसरी जाति के युवक संग विवाह किया हो उसे विवाह उपरांत एक वर्ष के भीतर इस लाभ के लिए जिला स्तर पर सहायक निदेशक बाल संरक्षण के यहां आवेदन करना होगा।
- अंतरजाति विवाह करने वाली महिला को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने के लिए विवाह संपन्न होने के तीन माह के भीतर संबंधित वधू के नाम अधिकतम लाभ देने वाले राष्ट्रीयकृत बैंक में संचित / प्रस्तुत प्रमाणपत्र के माध्यम से ₹ एक लाख रुपये का संदाय किया जाता है । इस राशि को तीन वर्ष के पश्चात् ही निकाला जा सकता है।
योजना का लाभ ;
- इस योजना के अंतर्गत 3.50 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दंपत्ति को दी जाएगी।
- इस योजना से समाज में जातियों में ऊंच-नीच की प्रवृत्ति को कम किया जाएगा।
- इससे जातिवाद पर भी अंकुश लगेगा।
बिहार अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के पात्रता :
बिहार अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत आवेदन हेतु युवक व युवती द्वारा निम्नोल्लेखित पात्रता पूर्ण करना अनिवार्य हैं :
- विवाह करने वाले युगल का प्रथम विवाह होना चाहिए।
- नवविवाहित को ‘हिंदू मैरिज एक्ट’ के तहत पंजीयन होना चाहिए।
- अंतर्जातीय विवाह योजना का लाभ लेने के लिए युगल को अपने विवाह के 01 वर्ष के एक साल के भीतर ही इसका प्रस्ताव सरकार के पास सौंपना होगा।
- केंद्र सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा इस संबंध में निर्गत नवीन अधिसूचना के अनुसार नवविवाहित दमपति को आधार कार्ड नंबर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा।
- नवविवाहित युगल द्वारा अपने आधार कार्ड नंबर तथा आधारबद्ध अधिकोष लेखा भी देना होगा।
- बिहार प्रदेश के विषय में विवाहित युवक जिस भी जनपद का निवासी है, उसे वहीँ आवेदन करना होगा। युवक के बिहार से बाहर के होने पर विवाहिता जीवनसाथी के जनपद में आवेदन करना होगा।
जरूरी दस्तावेज एवं कागजात :
- दंपत्ति का आधार कार्ड।
- वोटर आईडी कार्ड।
- दंपत्ति की पासपोर्ट साइज फोटो।
- राशन कार्ड की कॉपी।
- पंचायत में नाम पंजीकरण की कॉपी।
- दंपत्ति का ज्वाइंट बैंक अकाउंट नंबर।